Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (simplified iso15919 transliteration). Gatha: 24 (Adhikar 1).

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शुद्धात्मोपादेयो अन्यद्धेयमिति भावार्थः ।।२३।।
अथ योऽसौ वेदादिविषयो न भवति परमात्मा समाधिविषयो भवति पुनरपि तस्यैव
स्वरूपं व्यक्तं करोति
२४) केवलदंसणणाणमउ केवलसुक्खसहाउ
केवलवीरिउ सो मुणहि जो जि परावरु भाउ ।।२४।।
केवलदर्शनज्ञानमयः केवलसुखस्वभावः
केवलवीर्यस्तं मन्यस्व य एव परापरो भावः ।।२४।।
केवलोऽसहायः ज्ञानदर्शनाभ्यां निर्वृत्तः केवलदर्शनज्ञानमयः केवलानन्तसुखस्वभावः
केवलानन्तवीर्यस्वभाव इति यस्तमात्मानं मन्यस्व जानीहि पुनश्च कथंभूतः य एव यः
ahīn arthabhūt shuddha ātmā ja upādey chhe, anya sarva hey chhe evo bhāvārtha
chhe. 23.
have je paramātmā vedādino viṣhay nathī, samādhino viṣhay chhe tenun ja pharī svarūp
pragaṭ kare chheḥ
have ‘tribhuvanavandit’ (traṇ lokathī vandit) ityādi lakṣhaṇothī yukta je shuddhātmā
kahevāmān āvyo te lokāgre rahe chhe tem kahe chheḥ
50 ]
yogīndudevavirachitaḥ
[ adhikār-1ḥ dohā-24
क्लेश कर रहे हैं इस जगह अर्थरूप शुद्धात्मा ही उपादेय है, अन्य सब त्यागने योग्य हैं,
यह सारांश समझना ।।२३।।
आगे कहते हैं कि जो परमात्मा वेदशास्त्रगम्य तथा इन्द्रियगम्य नहीं, केवल
परमसमाधिरूप निर्विकल्पध्यानकर ही गम्य है, इसिलिए उसीका स्वरूप फि र कहते हैं
गाथा२४
अन्वयार्थ :[यः ] जो [केवलदर्शन ज्ञानमयः ] केवलज्ञान केवलदर्शनमयी है,
अर्थात् जिसके परवस्तुका आश्रय (सहायता) नहीं, आप ही सब बातोंमें परिपूर्ण ऐसे ज्ञान
दर्शनवाला है, [केवलसुखस्वभावः ] जिसका केवलसुख स्वभाव है, और जो [केवलवीर्यः ]
अनंतवीर्यवाला है, [स एव ] वही [परापरभावः ] उत्कृष्ट अर्हंतपरमेष्ठीसे भी अधिक
स्वभाववाला सिद्धरूप शुद्धात्मा है [मन्यस्व ] ऐसा मानो
भावार्थ :परमात्माके दो भेद हैं, पहला सकलपरमात्मा दूसरा निष्कलपरमात्मा