Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (itrans transliteration). Gatha-126 (Adhikar 2).

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Shri Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust, Songadh - 364250
shrI diga.nbar jain svAdhyAyama.ndir TrasTa, sonagaDh - 364250
424 ]yogIndudevavirachit: [ adhikAr-2 : dohA-126
have, te ja hi.nsAnA doShane draDh kare Che :
bhAvArtha:bahAramA.n anya jIvone mArIne arthAt prANIonA prANano viyog
karIne, anya jIvone chUrIne arthAt hAth, pag vagereno ek deshano Ched karavArUpe jIrNa
karIne ane nishchayanayathI abhya.ntaramA.n mithyAtva, rAgAdirUp tIkShNa shastrathI shuddhAtmaanubhUtirUp
potAnA nishchayaprANone chUrIne te pUrvokta sva-par jIvomA.n tu.n je duHkh Ape Che, te duHkhanI
apekShAe ana.ntagaNu.n duHkh he mUDh jIv! tu.n avashya pAmIsh.
अथ तमेव हिंसादोषं द्रढयति
२५६) मारिवि चूरिवि जीवडा जं तुहुँ दुक्खु करीसि
तं तह पासि अणंत-गुणु अवसइँ जीव लहीसि ।।१२६।।
मारयित्वा चूर्णयित्वा जीवान् यत् त्वं दुःखं करिष्यसि
तत्तदपेक्षया अनन्तगुणं अवश्यमेव जीव लभसे ।।१२६।।
मारिवि इत्यादि मारिवि बहिर्विषये अन्यजीवान् प्राणीप्राणवियोगलक्षणेन मारयित्वा
चूरिवि हस्तपादाद्येकदेशच्छेदरूपेण चूरयित्वा कान् जीवडा जीवान् निश्चयेनाभ्यन्तरे तु
मिथ्यात्वरागादिरूपतीक्ष्णशस्त्रेण शुद्धात्मानुभूतिरूपनिश्चयप्राणांश्च जं तुहुँ दुक्खु करीसि यद्दुःखं
त्वं कर्ता करिष्यसि तेषु पूर्वोक्त स्वपरजीवेषु
तं तह पासि अणंतगुणु तद्दुःखं तदपेक्षया
अनन्तगुणं
अवसइं अवश्यमेव जीव हे मूढजीव लहीसि प्राप्नोतीति
अत्रायं जीवो
आगे उसी हिंसाके दोषको फि र निंदते हैं, और दयाधर्मको दृढ़ करते हैं
गाथा१२६
अन्वयार्थ :[जीव ] हे जीव, [यत् त्वं ] जो तू [जीवान् ] परजीवोंको [मारयित्वा ]
मारकर, [चूरयित्वा ] चूरकर [दुःखं करिष्यसि ] दुःखी करता है, [तत् ] उसका फ ल
[तदपेक्षया ] उसकी अपेक्षा [अनंतगुणं ] अनंतगुणा [अवश्यमेव ] निश्चयसे [लभसे ] पावेगा
भावार्थ :निर्दयी होकर अन्य जीवोंके प्राण हरना, परजीवोंका शस्त्रादिकसे घात
करना, वह मारना है, और हाथ-पैर आदिसे, तथा लाठी आदिसे परजीवोंका काटना, एकदेश
मारना वह चूरना है, यह हिंसा ही महा पापका मूल है
निश्चयनयसे अभ्यन्तरमें मिथ्यात्व
रागादिरूप तीक्ष्ण शस्त्रोंसे शुद्धात्मानुभूतिरूप अपने निश्चय प्राणोंको हत रहा है, क्लेशरूप
करता है, उसका फ ल अनंत दुःख अवश्य सहेगा
इसलिए हे मूढ़ जीव, परजीवोंको मत मार,