Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (itrans transliteration). Gatha-129 (Adhikar 2) Adhruvabhavana.

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Shri Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust, Songadh - 364250
shrI diga.nbar jain svAdhyAyama.ndir TrasTa, sonagaDh - 364250
430 ]yogIndudevavirachit: [ adhikAr-2 : dohA-129
have, pharI paN adhruv anuprekShAnu.n vyAkhyAn kare Che :
bhAvArtha:he yogI! Ta.nkotkIrNa j~nAyak ekasvabhAvI, akR^itrim, vItarAganityAna.nd ja
jenu.n ek svarUp Che evA paramAtmAthI anya man, vachan, kAyanA vyApArarUp je kA.nI Che
te badhu.ny vinashvar Che, A sa.nsAramA.n pUrvokta paramAtmAnI sadrash kA.nIpaN nitya nathI. A
artha draDh karavA mATe draShTA.nt kahe Che. shuddhaAtmatattvanI bhAvanAthI rahit, mithyAtva, viShay,
kaShAyamA.n Asakta jIve je karmo upArjyA.n Che te karmo sahit jIv bIjA bhavamA.n jatA.n ‘kuDi’
अथ पुनरप्यध्रुवानुप्रेक्षां प्रतिपादयति
२५९) जोइय सयलु वि कारिमउ णिक्कारिमउ ण कोइ
जीविं जंतिं कुडि ण गय इहु पडिछंदा जोइ ।।१२९।।
योगिन् सकलमपि कृत्रिमं निःकृत्रिमं न किमपि
जीवेन यातेन देहो न गतः इमं द्रष्टान्तं पश्य ।।१२९।।
जोइय इत्यादि जोइय हे योगिन् सयलु वि कारिमउ टङ्कोत्कीर्णज्ञायकैक-
स्वभावादकृत्रिमाद्वीतरागनित्यानन्दैकस्वरूपात् परमात्मनः सकाशाद् यदन्यन्मनोवाक्कायव्यापाररूपं
तत्समस्तमपि कृत्रिमं विनश्वरं
णिक्कारिमउ ण कोइ अकृत्रिमं नित्यं पूर्वोक्त परमात्मस
द्रशं संसारे
किमपि नास्ति अस्मिन्नर्थे द्रष्टान्तमाह जीविं जंतिं कुडि ण गय शुद्धात्मतत्त्वभावनारहितेन
आगे फि र भी अनित्यानुप्रेक्षाका व्याख्यान करते हैं
गाथा१२९
अन्वयार्थ :[योगिन् ] हे योगी, [सकलमपि ] सभी [कृत्रिमं ] विनश्वर हैं,
[निःकृत्रिमं ] अकृत्रिम [किमपि ] कोई भी वस्तु [न ] नहीं है, [जीवेन यातेन ] जीवके जाने
पर उसके साथ [देहो न गतः ] शरीर भी नहीं जाता, [इमं दृष्टांतं ] इस दृष्टान्तको [पश्य ]
प्रत्यक्ष देखो
भावार्थ :हे योगी, टंकोत्कीर्ण (अघटित घाटबिना टाँकीका गढ़ा) अमूर्तीक
पुरुषाकार आत्मा केवल ज्ञायकस्वभाव अकृत्रिम वीतराग परमानंदस्वरूप, उससे जुदे जो मन,
वचन, कायके व्यापार उनको आदि ले सभी कार्य-पदार्थ विनश्वर हैं
इस संसारमें देहादि
समस्त सामग्री अविनाशी नहीं है, जैसा शुद्ध-बुद्ध परमात्मा अकृत्रिम है, वैसा देहादिमेंसे कोई
भी नहीं है, सब क्षणभंगुर हैं
शुद्धात्मतत्त्वकी भावनासे रहित जो मिथ्यात्व विषयकषाय हैं उनसे