Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Malayalam transliteration). Gatha-71 (Adhikar 1).

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Shri Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust, Songadh - 364250
ശ്രീ ദിഗംബര ജൈന സ്വാധ്യായമംദിര ട്രസ്ട, സോനഗഢ - ൩൬൪൨൫൦
അധികാര-൧ : ദോഹാ-൭൧ ]പരമാത്മപ്രകാശ: [ ൧൨൫
वीतराग सदा आनंदरूप सब तरह उपादेयरूप निज भावोंकर परिणमता है, तब अपना यह
शुद्धात्मा ही उपादेय है, ऐसा अभिप्राय जानो
।।७०।।
आगे ऐसा कहते हैं कि हे जीव, तू जरा-मरण देहके जानकर डर मत कर
गाथा७१
अन्वयार्थ :[जीव ] हे आत्माराम, तू [देहस्य ] देहके [जरामरणं ] बुढ़ापा मरनेको
[दृष्टवा ] देखकर [भयं ] डर [मा कार्षीः ] मतकर [यः ] जो [अजरामरः ] अजर अमर [परः
ब्रह्म ] परब्रह्म शुद्ध स्वभाव हैं, [तं ] उसको तूँ [आत्मानं ] आत्मा [मन्यस्व ] जान
भावार्थ :यद्यपि व्यवहारनयसे जीवके जरा-मरण हैं, तो भी शुद्धनिश्चयनयकर
जीवके नहीं है, देहके हैं, ऐसा जानकर भय मत कर, तू अपने चित्तमें ऐसा समझ, कि जो
कोई जरा-मरण रहित अखंड परब्रह्म है, वैसा ही मेरा स्वरूप है, शुद्धात्मा सबसे उत्कृष्ट है,
ജന്മമരണാദി ധര്മോ-ജോ കേ വ്യവഹാരനയഥീ ജീവനാ ഛേ തോപണനിശ്ചയനയഥീ ദേഹനാ ഛേ, ഏമ ജാണവും.
അഹീം, ദേഹാദിനാ മമതാരൂപ വികല്പജാളനേ ഛോഡീനേ ആ ജീവ ജ്യാരേ സര്വപ്രകാരേ ഉപാദേയഭൂത ഏക
(കേവള) വീതരാഗ സദാനംദരൂപേ പരിണമേ ഛേ ത്യാരേ സ്വശുദ്ധആത്മാ ജ ഉപാദേയ ഛേ, ഏവോ ഭാവാര്ഥ ഛേ. ൭൦.
ഹവേ, ദേഹനാം ജരാ, മരണ ദേഖീനേ ഹേ ജീവ? തും ഭയ ന കര, ഏമ കഹേ ഛേ :
ഭാവാര്ഥ :പാംച ഇന്ദ്രിയോനാ വിഷയോഥീ മാംഡീനേ സമസ്ത വികല്പജാളനേ ഛോഡീനേ
तदुदयसंपन्ना जन्ममरणादिधर्मा यद्यपि व्यवहारनयेन जीवस्य सन्ति तथापि निश्चयनयेन देहस्येति
ज्ञातव्यम्
अत्र देहादिममत्वरूप विकल्पजालं त्यक्त्वा यदा वीतरागसदानन्दैकरूपेण
सर्वप्रकारोपादेयभूतेन परिणमति तदा स्वशुद्धात्मैवोपादेय इति भावार्थः ।।७०।।
अथ देहस्य जरामरणं द्रष्टवा मा भयं जीव कार्षीरिति निरूपयति
७१) देहहँ पेक्खिवि जर-मरणु मा भउ जीव करेहि
जो अजरामरु बंभु परु सो अप्पाणु मुणेहि ।।७१।।
देहस्य द्रष्टवा जरामरणं मा भयं जीव कार्षीः
यः अजरामरः ब्रह्म परः तं आत्मानं मन्यस्व ।।७१।।
देहहं पेक्खिवि जरमरणु मा भउ जीव करेहि देहसंबन्धि द्रष्टवा किम् जरा
मरणम् मा भयं कार्षीः हे जीव अयमर्थो यद्यपि व्यवहारेण जीवस्य जरामरणं तथापि