Shri Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust, Songadh - 364250
ଶ୍ରୀ ଦିଗଂବର ଜୈନ ସ୍ଵାଧ୍ଯାଯମଂଦିର ଟ୍ରସ୍ଟ, ସୋନଗଢ - ୩୬୪୨୫୦
ଶ୍ରୀମଦ୍ବ୍ରହ୍ମଦେଵକୃତ ସଂସ୍କୃତ ଟୀକାନୋ ଗୁଜରାତୀ ଅନୁଵାଦ
(ସଂସ୍କୃତ ଟୀକାକାରନୁଂ ମଂଗଲାଚରଣ)
चिदानन्दैकरूपाय जिनाय परमात्मने ।
परमात्मप्रकाशाय नित्यं सिद्धात्मने नमः ।।१।।
ଅର୍ଥ : — [परमात्मप्रकाशाय] ପରମାତ୍ମସ୍ଵରୂପନା ପ୍ରକାଶନ-ଅର୍ଥେ [चिदानन्दैकरूपाय] ଚିଦାନଂଦ
ଜ ଜେନୁଂ ଏକ ରୂପ ଛେ ଏଵା [सिद्धात्मने जिनाय परमात्मने] ସିଦ୍ଧସ୍ଵରୂପ ଜିନ ପରମାତ୍ମାନେ [नित्यं]
ସଦା କାଳ [नमः] ନମସ୍କାର ହୋ. ୧.
ପ୍ରଥମ ମହାଧିକାର (ଗାଥା – ୧୨୩)
ଶ୍ରୀ ଯୋଗୀନ୍ଦ୍ରଦେଵକୃତ ପରମାତ୍ମପ୍ରକାଶ ନାମନା ଦୋହକଛଂଦ ଗ୍ରଂଥମାଂ ପ୍ରକ୍ଷେପକ ଦୋହକୋନେ ଛୋଡୀନେ
ॐ।। श्रीपरमात्मने नमः ।।
श्रीमद्योगीन्दुदेवविरचितः
परमात्मप्रकाशः
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श्रीमद्ब्रह्मदेवकृतसंस्कृतटीका
चिदानन्दैकरूपाय जिनाय परमात्मने ।
परमात्मप्रकाशाय नित्यं सिद्धात्मने नमः ।।१।।
श्रीयोगीन्द्रदेवकृतपरमात्मप्रकाशाभिधाने दोहकछन्दोग्रन्थे प्रक्षेपकान् विहाय
ॐ
श्री पंडित दौलतरामजीकृत मंगलाचरण
दोहा — चिदानंद चिद्रूप जो, जिन परमातम देव ।
सिद्धरूप सुविसुद्ध जो, नमों ताहि करि सेव ।।१।।
परमातम निजवस्तु जो, गुण अनंतमय शुद्ध ।
ताहि प्रकाशनके निमित, वंदूं देव प्रबुद्ध ।।२।।
‘चिदानंद इत्यादि श्लोकका अर्थ — श्रीजिनेश्वरदेव शुद्ध परमात्मा आनंदरूप