Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Oriya transliteration). Gatha-8 (Adhikar 1) Shri Yoginadragurune Bhatt Prabhakarna Prashno.

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Shri Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust, Songadh - 364250
ଶ୍ରୀ ଦିଗଂବର ଜୈନ ସ୍ଵାଧ୍ଯାଯମଂଦିର ଟ୍ରସ୍ଟ, ସୋନଗଢ - ୩୬୪୨୫୦
निर्विकल्पसमाधिं ये साधयन्ति ते भवन्ति साधवस्तानहं वन्दे अत्रायमेव ते समाचरन्ति
कथयन्ति साधयन्ति च वीतरागनिर्विकल्पसमाधिं तमेवोपादेयभूतस्य स्वशुद्धात्मतत्त्वस्य
साधकत्वादुपादेयं जानीहीति भावार्थः
।।।। इति प्रभाकरभट्टस्य पञ्चपरमेष्ठि-
नमस्कारकरणमुख्यत्वेन प्रथममहाधिकारमध्ये दोहकसूत्रसप्तकं गतम्
अथ प्रभाकरभट्टः पूर्वोक्त प्रकारेण पञ्चपरमेष्ठिनो नत्वा पुनरिदानीं श्रीयोगीन्द्रदेवान्
विज्ञापयति
८) भाविं पणविवि पंचगुरु सिरिजोइंदुजिणाउ
भट्टपहायरि विण्णविउ विमलु करेविणु भाउ ।।।।
୨୬ ]ଯୋଗୀନ୍ଦୁଦେଵଵିରଚିତ: [ ଅଧିକାର-୧ : ଦୋହା-୮
हैं, साधते हैं वे ही साधु हैं अर्हंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, ये ही पंचपरमेष्ठी वंदने
योग्य हैं, ऐसा भावार्थ है ।।।।
ऐसे परमेष्ठीको नमस्कार करनेकी मुख्यतासे श्रीयोगीन्द्राचार्यने परमात्मप्रकाशके प्रथम
महाधिकारमें प्रथमस्थलमें सात दोहोंसे प्रभाकरभट्ट नामक अपने शिष्यको पंचपरमेष्ठीकी
भक्तिका उपदेश दिया
इति पीठिक ा
अब प्रभाकरभट्ट पूर्वरीतिसे पंचपरमेष्ठीको नमस्कारकर और श्रीयोगीन्द्रदेव गुरुको
नमस्कार कर श्रीगुरुसे विनती करता है
ନିର୍ଵିକଲ୍ପସମାଧିନେ ଜେଓ ସାଧେ ଛେ ତେଓ ସାଧୁ ଛେ. ତେମନେ ହୁଂ ଵଂଦନ କରୁଂ ଛୁଂ.
ଅହୀଂ ଜେ ଵୀତରାଗନିର୍ଵିକଲ୍ପସମାଧିନେ ତେଓ (ଆଚାର୍ଯ, ଉପାଧ୍ଯାଯ, ଅନେ ସାଧୁ) ଆଚରେ ଛେ,
କହେ ଛେ ଅନେ ସାଧେ ଛେ ତେ ଜ ଵୀତରାଗନିର୍ଵିକଲ୍ପସମାଧି ଉପାଦେଯଭୂତ ସ୍ଵଶୁଦ୍ଧାତ୍ମତତ୍ତ୍ଵନୀ ସାଧକ ହୋଵାଥୀ
ଉପାଦେଯ ଜାଣୋ ଏଵୋ ଭାଵାର୍ଥ ଛେ. ୭.
ଆ ପ୍ରମାଣେ ପ୍ରଭାକରଭଟ୍ଟନା ପଂଚପରମେଷ୍ଠୀନେ ନମସ୍କାରକରଣନୀ ମୁଖ୍ଯତାଥୀ ପ୍ରଥମ ମହାଧିକାରମାଂ
ସାତ ଦୋହକ ସୂତ୍ରୋ ସମାପ୍ତ ଥଯାଂ.
ଇତି ପୀଠିକା
ହଵେ ପ୍ରଭାକରଭଟ୍ଟ ପୂର୍ଵୋକ୍ତ ପ୍ରକାରେ ପଂଚପରମେଷ୍ଠୀନେ ନମସ୍କାର କରୀନେ ଫରୀ ଅହୀଂ ଶ୍ରୀ ଯୋଗୀନ୍ଦ୍ରଦେଵନେ
ଵିନଂତୀ କରେ ଛେ :