gAthA 321 thI 323
लोयस्स कुणदि विण्हू सुरणारयतिरियमाणुसे सत्ते।
समणाणं पि य अप्पा जदि कुव्वदि छव्विहे काऐ।। ३२१।।
लोयसमणाणमेयं सिद्धंतं जइ ण दीसदि विसेसो।
लोयस्स कुणइ विण्हू समणाण वि अप्पओ कुणदि।। ३२२।।
एवं ण को वि मोक्खो दीसदि लोयसमणाण दोण्हं पि।
णिच्चं
समणाणं पि य अप्पा जदि कुव्वदि छव्विहे काऐ।। ३२१।।
लोयसमणाणमेयं सिद्धंतं जइ ण दीसदि विसेसो।
लोयस्स कुणइ विण्हू समणाण वि अप्पओ कुणदि।। ३२२।।
एवं ण को वि मोक्खो दीसदि लोयसमणाण दोण्हं पि।
णिच्चं
कुव्वंताणं सदेवमणुयासुरे लोए।। ३२३।।
लोकस्य करोति विष्णुः सुरनारकतिर्यङ्मानुषान् सत्त्वान्।
श्रमणानामपि चात्मा यदि करोति षङ्विधान् कायान्।। ३२१।।
लोकश्रमणानामेकः सिद्धान्तो यदि न द्रश्यते विशेषः।
लोकस्य करोति विष्णुः श्रमणानामप्यात्मा करोति।। ३२२।।
श्रमणानामपि चात्मा यदि करोति षङ्विधान् कायान्।। ३२१।।
लोकश्रमणानामेकः सिद्धान्तो यदि न द्रश्यते विशेषः।
लोकस्य करोति विष्णुः श्रमणानामप्यात्मा करोति।। ३२२।।
एवं न कोऽपि मोक्षो द्रश्यते लोकश्रमणानां द्वयेपामपि।
नित्यं कुर्वतां सदेवमनुजासुरान् लोकान्।। ३२३।।
नित्यं कुर्वतां सदेवमनुजासुरान् लोकान्।। ३२३।।
have A ja arthane gAthA dvArA kahe chhe-
jyam lok mAne ‘dev, nArak Adi jIv viShNu kare,’
tyam shramaN paN mAne kadI ‘AtmA kare ShaT kAyane,’ 321.
to lok–muni siddhAnt ek ja, bhed temAn nav dIse,
viShNu kare jyam lokamatamAn, shramaNamat AtmA kare; 322.
e rIt lok–muni ubhayano mokSha koI nahIn dIse,
–je dev, manuj, asuranA traN lokane nitye kare. 323.
tyam shramaN paN mAne kadI ‘AtmA kare ShaT kAyane,’ 321.
to lok–muni siddhAnt ek ja, bhed temAn nav dIse,
viShNu kare jyam lokamatamAn, shramaNamat AtmA kare; 322.
e rIt lok–muni ubhayano mokSha koI nahIn dIse,
–je dev, manuj, asuranA traN lokane nitye kare. 323.
gAthArtha– [लोकस्य] lokanA (laukik janonA) matamAn [सुरनारकतिर्यङ्मानुषान्
सत्त्वान्] dev, nArak, tiryanch, manuShya-prANIone [विष्णुः] viShNu [करोति] kare chhe; [च] ane [यदि] jo [श्रमणानाम् अपि] shramaNonA (munionA) mantavyamAn paN [षड्विधान् कायाम्] chha kAyanA jIvone [आत्मा] AtmA [करोति] karato hoy