Pravachansar-Gujarati (Devanagari transliteration). Gnan Tattva PragyApan.

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नमः श्रीसिद्धेभ्यः।
नमोऽनेकान्ताय।
श्रीमद्भगवत्कुंदकुंदाचार्यदेवप्रणीत
श्री
प्रवचनसार
ज्ञानतत्त्व-प्रज्ञापन
श्रीमदमृतचन्द्रसूरिकृततत्त्वप्रदीपिकावृत्तिः।
( अनुष्टुभ् )
सर्वव्याप्येकचिद्रूपस्वरूपाय परात्मने
स्वोपलब्धिप्रसिद्धाय ज्ञानानन्दात्मने नमः ।।१।।
श्रीजयसेनाचार्यकृततात्पर्यवृत्तिः।
नमः परमचैतन्यस्वात्मोत्थसुखसम्पदे
परमागमसाराय सिद्धाय परमेष्ठिने ।।
मूळ गाथाओनो अने तत्त्वप्रदीपिका नामनी टीकानो
गुजराती अनुवाद

[प्रथम, ग्रंथना आदिमां श्रीमद्भगवत्कुंदकुंदाचार्यदेवविरचित प्राकृतगाथाबद्ध आ ‘प्रवचनसार’ नामना शास्त्रनी ‘तत्त्वप्रदीपिका’ नामनी संस्कृत टीका रचनार श्री अमृतचंद्रा- चार्यदेव श्लोक द्वारा मंगळाचरण करतां ज्ञानानंदस्वरूप परमात्माने नमस्कार करे छेः]

[अर्थः] सर्वव्यापी (अर्थात् सर्वने देखनारजाणनार) एक चैतन्यरूप (मात्र चैतन्य ज) जेनुं स्वरूप छे अने जे स्वानुभवप्रसिद्ध छे (अर्थात् शुद्ध आत्माना अनुभवथी प्रकृष्टपणे सिद्ध छे) ते ज्ञानानंदात्मक (ज्ञान ने आनंदस्वरूप) उत्कृष्ट आत्माने नमस्कार. प्र. १