Pravachansar (Hindi). Gatha: 139.

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वदिवददो तं देसं तस्सम समओ तदो परो पुव्वो
जो अत्थो सो कालो समओ उप्पण्णपद्धंसी ।।१३९।।
व्यतिपततस्तं देशं तत्समः समयस्ततः परः पूर्वः
योऽर्थः स कालः समय उत्पन्नप्रध्वंसी ।।१३९।।
यो हि येन प्रदेशमात्रेण कालपदार्थेनाकाशस्य प्रदेशोऽभिव्याप्तस्तं प्रदेशं मन्द-
गत्यातिक्रमतः परमाणोस्तत्प्रदेशमात्रातिक्रमणपरिमाणेन तेन समो यः कालपदार्थ-
सूक्ष्मवृत्तिरूपसमयः स तस्य कालपदार्थस्य पर्यायस्ततः एवंविधात्पर्यायात्पूर्वोत्तरवृत्तिवृत्तत्वेन-
पुद्गलपरमाणोर्व्यतिपततो मन्दगत्या गच्छतः कं कर्मतापन्नम् तं देसं तं पूर्वगाथोदितं
कालाणुव्याप्तमाकाशप्रदेशम् तस्सम तेन कालाणुव्याप्तैकप्रदेशपुद्गलपरमाणुमन्दगतिगमनेन समः
समानः सदृशस्तत्समः समओ कालाणुद्रव्यस्य सूक्ष्मपर्यायभूतः समयो व्यवहारकालो भवतीति
पर्यायव्याख्यानं गतम् तदो परो पुव्वो तस्मात्पूर्वोक्तसमयरूपकालपर्यायात्परो भाविकाले पूर्वमतीतकाले
जो अत्थो यः पूर्वापरपर्यायेष्वन्वयरूपेण दत्तपदार्थो द्रव्यं सो कालो स कालः कालपदार्थो भवतीति
द्रव्यव्याख्यानम् समओ उप्पण्णपद्धंसी स पूर्वोक्तसमयपर्यायो यद्यपि पूर्वापरसमयसन्तानापेक्षया
२७प्रवचनसार[ भगवानश्रीकुंदकुंद-
१. अतिक्रमण = उल्लंघन करना २. परिमाण = माप
३. वृत्ति = वर्तना सो परिणति है (काल पदार्थ वर्तमान समयसे पूर्वकी परिणतिरूप तथा उसके बादकी
परिणतिरूपसे परिणमित होता है, इसलिये उसका नित्यत्व प्रगट है )
ते देशना अतिक्रमण सम छे ‘समय’, तत्पूर्वापरे
जे अर्थ छे ते काळ छे, उत्पन्नध्वंसी ‘समय’ छे. १३९.
अन्वयार्थ :[तं देशं व्यतिपततः ] परमाणु एक आकाशप्रदेशका (मन्दगतिसे)
उल्लंघन करता है तब [तत्समः ] उसके बराबर जो काल (लगता है ) वह [समयः ]
‘समय’ है; [तत्ः पूर्वः परः ] उस (समय) से पूर्व तथा पश्चात् ऐसा (नित्य) [यः
अर्थः ]
जो पदार्थ है [सः कालः ] वह कालद्रव्य है; [समयः उत्पन्नप्रध्वंसी ] ‘समय
उत्पन्नध्वंसी है
।।१३९।।
टीका :किसी प्रदेशमात्र कालपदार्थके द्वारा आकाशका जो प्रदेश व्याप्त हो उस
प्रदेशको जब परमाणु मन्द गतिसे अतिक्रम (उल्लंघन) करता है तब उस प्रदेशमात्र
अतिक्रमणके परिमाणके बराबर जो कालपदार्थकी सूक्ष्मवृत्तिरूप ‘समय’ है वह, उस काल
पदार्थकी पर्याय है; और ऐसी उस पर्यायसे पूर्वकी तथा बादकी वृत्तिरूपसे प्रवर्तमान होनेसे