✾ अर्पण ✾
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जिन्होंने इस पामर पर अपार उपकार किया है, जिनकी
प्रेरणासे प्रवचनसारका यह अनुवाद तैयार हुआ है,
जो जिनप्रवचनके परम भक्त एवं मर्मज्ञ हैं, जो
जिनप्रवचनके हार्दका अनुभव कर निज कल्याण
साध रहे हैं और भारतवर्षके भव्य जीवोंको
कल्याणपन्थमें लगा रहे हैं, जो जिनप्रवचनके
साररू प भेदविज्ञानके और शुद्धात्मप्रवृत्तिके
इस कालमें इस क्षेत्रमें सर्वोत्कृष्ट प्रभावक
हैं, उन परमपूज्य परमोपकारी सद्गुरु देव
(श्री कानजीस्वामी)को यह
अनुवाद -पुष्प अत्यन्त भक्ति-
भावसे समर्पित
करता हूँ ।
— अनुवादक
(हिंमतलाल जेठालाल शाह)
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