करनेवाला (अपने अपने समयमें उदयमें आनेवाले) [पूर्वबद्धाः ] पूर्वबद्ध (पहले अज्ञान- अवस्थामें बँधे हुवे) [द्रव्यरूपाः प्रत्ययाः ] द्रव्यरूप प्रत्यय [सत्तां ] अपनी सत्ताको [न हि विजहति ] नहीं छोड़ते (वे सत्तामें रहते हैं ), [तदपि ] तथापि [सक लरागद्वेषमोहव्युदासात् ] सर्व रागद्वेषमोहका अभाव होनेसे [ज्ञानिनः ] ज्ञानीके [क र्मबन्धः ] क र्मबन्ध [जातु ] क दापि [अवतरति न ] अवतार नहीं धरता — नहीं होता
भावार्थ : — ज्ञानीके भी पहले अज्ञान-अवस्थामें बाँधे हुए द्रव्यास्रव सत्ताअवस्थामें विद्यमान हैं और वे अपने उदयकालमें उदयमें आते रहते हैं । किन्तु वे द्रव्यास्रव ज्ञानीके कर्मबन्धके कारण नहीं होते, क्योंकि ज्ञानीके समस्त रागद्वेषमोहभावोंका अभाव है । यहाँ समस्त रागद्वेषमोहका अभाव बुद्धिपूर्वक रागद्वेषमोहकी अपेक्षासे समझना चाहिये ।११८।
श्लोकार्थ : — [यत् ] क्योंकि [ज्ञानिनः रागद्वेषविमोहानां असम्भवः ] ज्ञानीके रागद्वेषमोहका असम्भव है, [ततः एव ] इसलिये [अस्य बन्धः न ] उसको बन्ध नहीं है; [हि ] कारण कि [ते बन्धस्य कारणम् ] वे (रागद्वेषमोह) ही बंधका कारण है ।११९।