Shastra Swadhyay-Gujarati (Devanagari transliteration).

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श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर टस्ट, सोनगढ -
उपादान अरु निमित्त ये, सब जीवनपै वीर;
जो निजशक्ति संभारहीं, सो पहुंचें भवतीर. ४२.
भैया महिमा ब्रह्मकी, कैसे बरनी जाय;
वचन-अगोचर वस्तु है, कहिवो वचन बनाय. ४३.
उपादान अरु निमित्तको, सरस बन्यो संवाद;
समद्रष्टिको सुगम है, मूरखको बकवाद. ४४.
जो जानै गुण ब्रह्मके, सो जानै यह भेद;
साख जिनागमसों मिले, तो मत कीज्यो खेद. ४५.
नगर आगरो अग्र है, जैनी जनको वास;
तिहं थानक रचना करी, ‘भैया’ स्वमतिप्रकास. ४६.
संवत विक्रम भूपको, सत्रहसै पंचास;
फाल्गुन पहिले पक्षमें, दशों दिशा परकाश. ४७.
उपादान-निमित्तसंवाद ][ १९५