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रूा.२०=०० थाय छे. तेमांथी ५०
परिवार तरफथी किंमत घटाडवामां आवता आ शास्त्रनी
किंमत रूा.१०=०० राखवामां आवी छे.
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देखाय छे. तेओश्रीना प्रभावना उदये सुवर्णपुरी (सोनगढ)मां
ज नहीं पण श्वेताम्बरबहुल एवा सौराष्ट्रना गामेगाम तथा
समग्र भारत तेमज विदेशोमां नूतन जिनमंदिरोनुं निर्माण थयुं.
आवा अनेक प्रसंगोए जिनेन्द्र भगवंतोनी भक्तिनो महासागर
उमटी जतो. तेमां प्रशममूर्ति पूज्य बहेनश्री चंपाबेननुं पण
कल्याणकारी मार्गदर्शन भकतोने मळी रहेतुं. आवा मंगल प्रतिष्ठा
महोत्सवो प्रसंगे भक्ति काव्योनां नवीन पुस्तको बहार पाडवामां
आवतां हतां. सौराष्ट्रना प्रमुख शहेर राजकोटमां जिनेन्द्र
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव निमित्ते सौ प्रथमवार आ ‘जिनेन्द्र
भजनमाळा’ पुस्तक प्रकाशित करवामां आव्युं हतुं. जेनी सर्व
नकलो खपी जवाथी तेनी आ छठ्ठी आवृत्ति पुनः प्रकाशित
करवामां आवे छे. आशा छे के मुमुक्षु समाज आनाथी लाभान्वित
थशे.
पूज्य गुरुदेवश्रीनो १२०मो
जन्मजयंती महोत्सव
ता. २६-४-२००९
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णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं।।
प्रवंद्य सदा तीर्थकृत् देवदेव प्रदेयात् स मेऽनंत कल्याणबीजं.।।
आचार्या जिनशासनोन्नतिकराः पूज्या उपाध्यायकाः
श्री सिद्धान्तसुपाठकाः मुनिवरा रत्नत्रयाराधकाः
पंचैते परमेष्ठिनः प्रतिदिनं कुर्वन्तु वो मंगलम्.।।
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आलीढपादयुग दुर्धरकर्मदूर,
श्रीनाभिनंदन जिनाजित शंभवाख्य
त्वद्ध्यानतोस्तु सततं मम सुप्रभातं.२
देवाभिनंदन मुने सुमते जिनेन्द्र,
पद्मप्रभारुणमणिद्युतिभासुरांग
त्वद्ध्यानतोस्तु सततं मम सुप्रभातं. ३
प्रा ले य ता रगिरिमौक्तिकवर्णगौर,
चंद्रप्रभ स्फटिक पांडुर पुष्पदंत
त्वद्ध्यानतोस्तु सततं मम सुप्रभातं. ४
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श्रेयान्विनष्ट दुरिताष्ट कलंकपंक,
बंधूकबंधुर रुचे जिनवासुपूज्य
त्वद्ध्यानतोस्तु सततं मम सुप्रभातं. ५
स्थेमन्ननंतजिदनंत सुखांबुराशे,
दुष्कर्मकल्मषविवर्जित धर्मनाथ
त्वद्ध्यानतोस्तु सततं मम सुप्रभातं. ६
कुंथोदयागुणविभूषणभूषितांग,
देवाधिदेव भगवन्नरतीर्थनाथ
त्वद्ध्यानतोस्तु सततं मम सुप्रभातं. ७
क्षेमंकरावितथ शासन सुव्रताख्य,
यत्संपदा प्रशमितो नमिनामधेय
त्वद्ध्यानतोस्तु सततं मम सुप्रभातं. ८
घोरोपसर्गविजयिन् जिन पार्श्वनाथ
स्याद्वादसूक्तिमणिदर्पण वर्द्धमान
त्वद्ध्यानतोस्तु सततं मम सुप्रभातं. ९
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यन्मूर्तिमव्यय सुखावसथं मुनींद्राः
ध्यायंति सप्ततिशतं जिनवल्लभानां
त्वद्ध्यानतोस्तु सततं मम सुप्रभातं.१०
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‘द्यानत’ पढे सुने सदा, सो प्रभु क्यों न सहाय.