देखाय छे. तेओश्रीना प्रभावना उदये सुवर्णपुरी (सोनगढ)मां
ज नहीं पण श्वेताम्बरबहुल एवा सौराष्ट्रना गामेगाम तथा
समग्र भारत तेमज विदेशोमां नूतन जिनमंदिरोनुं निर्माण थयुं.
आवा अनेक प्रसंगोए जिनेन्द्र भगवंतोनी भक्तिनो महासागर
उमटी जतो. तेमां प्रशममूर्ति पूज्य बहेनश्री चंपाबेननुं पण
कल्याणकारी मार्गदर्शन भकतोने मळी रहेतुं. आवा मंगल प्रतिष्ठा
महोत्सवो प्रसंगे भक्ति काव्योनां नवीन पुस्तको बहार पाडवामां
आवतां हतां. सौराष्ट्रना प्रमुख शहेर राजकोटमां जिनेन्द्र
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव निमित्ते सौ प्रथमवार आ ‘जिनेन्द्र
भजनमाळा’ पुस्तक प्रकाशित करवामां आव्युं हतुं. जेनी सर्व
नकलो खपी जवाथी तेनी आ छठ्ठी आवृत्ति पुनः प्रकाशित
करवामां आवे छे. आशा छे के मुमुक्षु समाज आनाथी लाभान्वित
थशे.
पूज्य गुरुदेवश्रीनो १२०मो
जन्मजयंती महोत्सव
ता. २६-४-२००९