Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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विदेहक्षेत्रस्थवर्तमानजिनविंशतिका
(१) श्री सीमंधर जिनस्तुति
(छप्पय)
सीमंधर जिनदेव, नगर पुंडरगिरि सोहै,
वंदहि सुर-नर-इन्द्र, देखि त्रिभुवन मन मोहे;
वृछ-लच्छन प्रभु चरन सरन, सबहीको राखहिं,
तरहु तरहु संसार सत्य, सत यहै जु भाखहिं;
श्रेयांसरायकुल-उद्धरन, वर्तमान जगदीश जिन,
समभाव सहित भविजन नमहिं, चरण चारु संदेह विन.
(२) श्री युगमंधर जिनस्तुति
(कवित्त)
केवल-कलपवृच्छ पूरत है मन-इच्छ,
प्रतच्छ जिनंद जुगमंधर जुहारिये;
दुदुंभि सुद्धार बाजै, सुनत मिथ्यात्व भाजै,
विराजै जगमें जिनकीरति निहारिये.
तिहुंलोक ध्यान धरै नाम लिये पाप हरै,
करै सुर किन्नर तिहारी मनुहारिये;
भूपति सुद्रढराय विजया सु तेरी माय,
पाय गज लच्छन जिनेशको निहारिये.
८६ ][ श्री जिनेन्द्र