भगवानश्रीकुंदकुंदकहानजैनशास्त्रमाळा पुष्प नं – १८१
ॐ
शुद्धात्मने नमः
श्री
स्वमिकर्तिकेयानुप्रेक्षा
मूळ गाथाओ, संस्कृत छाया अने
पं. जयचंद्रजी छावडानी भाषाटीकाना
गुजराती अनुवाद सहित
ः अनुवादकः
सोमचंद अमथालाल शाह – कलोल
ः प्रकाशकः
श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट,
सोनगढ – (सौराष्ट्र)