
समूह प्रमाणमां घटावी फरी मेळववी, त्यारे केवळज्ञानना
अविभागप्रतिच्छेदरूप उत्कृष्ट अनंतानंतप्रमाण राशि थाय छे.
त्रण प्रकार छे
समुद्रोनी संख्या गणवामां आवे छे तथा अद्धापल्य वडे कर्मोनी स्थिति
तथा देवादिकनी आयुस्थिति गणवामां आवे छे.
तृटरेणु, त्रसरेणु, रथरेणु उत्तम भोगभूमिना वाळनो अग्रभाग, मध्यम
भोगभूमिना वाळनो अग्रभाग, जघन्यभोगभूमिना वाळनो अग्रभाग,
कर्मभूमिना वाळनो अग्रभाग, लीख, सरसव, जव अने आंगळ
देव, तिर्यंच अने मनुष्योना शरीरनुं प्रमाण वर्णन करवामां आवे छे
तथा देवोनां नगर-मंदिरादिनुं वर्णन करवामां आवे छे. वळी
उत्सेधआंगळथी पांचसो गणा प्रमाणांगुल छे. ए वडे द्वीप, समुद्र अने
पर्वतादिना परिमाणनुं वर्णन करवामां आवे छे. तथा आत्मांगुल, ज्यां
जेवा मनुष्यो होय त्यां ते प्रमाणे जाणवो. छ आंगळनो पाद थाय छे,
बे पादनो एक विलस्त (वेंत) थाय छे, बे विलस्तनो एक हाथ थाय
छे. बे हाथनो एक भीष (वार) थाय छे, बे भीषनो एक धनुष थाय
छे, बे हजार धनुषनो एक कोष थाय छे, चार कोषनो एक योजन
थाय छे.