शास्त्रमाळा’ द्वारा परमात्मप्रकाश ग्रंथनी साथे-साथे आ ग्रंथनुं प्रकाशन
मूळगाथा संस्कृत छाया तथा तेना हिन्दी अनुवाद सहित करवामां आव्युं
हतुं. आ प्रकाशनमां मूळ प्राकृत गाथा, तेनी संस्कृत छाया, गुजराती
पद्यानुवाद (दोहा) तथा अन्वयार्थ सहित छापवामां आवेल छे.
करी मुमुक्षुओने आ अध्यात्मशास्त्रना भावोनुं रहस्य अत्यंत सरळ रीते
समजाव्युं हतुं. जेना परिपाकरूपे अध्यात्मरसिक मुमुक्षुओमां आ महान
शास्त्रनो अभ्यास करवानी रुचि जागृत थई. पूज्य गुरुदेवश्रीनां आ
शास्त्र पर थयेलां प्रवचनो टेप थयेलां होवाथी आजे पण
जीववानी प्रेरणा आपनारी हती. विद्वानोनुं मानवुं छे के आप
पूज्यपादस्वामी पछीना इ.नी छठ्ठी शताब्दि पछी अने सातमी शताब्दि
पूर्वना मुनिराज हता. आपनी रचनाओ (१) परमात्मप्रकाश (२) नौकार
श्रावकाचार, (३) योगसार, (४) अध्यात्म-रत्नसंदोह (५) सुभाषिततंत्र
(६) तत्त्वार्थ टीका (७) दोहापाहुड (८) अमृताशीती (९) निजात्माष्टक
(१०) स्वानुभवदर्पण छे.