Atmadharma magazine - Ank 003
(Year 1 - Vir Nirvana Samvat 2470, A.D. 1944)
(Devanagari transliteration).

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आ अंकना लेखो.
१ मोक्षना साधनमां पुरुषार्थनी मुख्यता
२ स्तवन
३ आत्माने ओळखो
४ साची सामायिक
प जैनधर्म
६ दाननी विगत
७ मिथ्यात्व सहित अहिंसादिनुं फळ
८ वेशधारी उपदेशक
९ आत्मानुं हित एक मोक्ष ज छे.
कोई आत्मा–ज्ञानी
के अज्ञानी–एक परमाणु
मात्रने हलाववानुं सामर्थ्य
धरावतो नथी, तो पछी
देहादिनी क्रिया आत्माना
हाथमां क्यांथी होय? ज्ञानी
ने अज्ञानीमां आकाश–
पाताळना अंतर जेवडो
महान तफावत छे, अने ते
ए छे के अज्ञानी परद्रव्यनो
तथा रागद्वेषनो कर्ता थाय
छे. अने ज्ञानी पोताने शुद्ध
अनुभवतो थको तेमनो
कर्ता थतो नथी. ते कर्तृत्व
छोडवानो महापुरुषार्थ दरेक
जीवे करवानो छे. ते कर्तृत्व
बुद्धि ज्ञान विना छूटशे नहि
माटे तमे ज्ञान करो.”
पूज्य सद्गुरुदेव
श्री. कानजी स्वामी
वार्षिक लवाजम छुटक नकल
रूपिया २–८–० चार आना
शिष्ट साहित्य भंडार * मोटा आंकडिया * काठियावाड