Atmadharma magazine - Ank 004
(Year 1 - Vir Nirvana Samvat 2470, A.D. 1944)
(Devanagari transliteration).

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ATMADHARMA Regd No. B. 4787
मांगलिक दिवस
तीर्थधाम श्री सोनगढ मध्ये सं. १९९७ ना फागण सुद २ ना
रोज सनातन जैन देरासरमां वीरहमान तीर्थंकर श्री सीमंधर
भगवाननी भाववाहिनी प्रतिमानी प्रतिष्ठा परम पूज्य श्री सद्गुरु
देवश्री कानजी स्वामीना पवित्र हस्तकमळ वडे करवामां आवी हती
ते प्रतिष्ठानो महोत्सव एक अठवाडियुं चाल्यो हतो. अने तेमां
१५०० मुमुक्षु भाई बहेनोए भाग लीधो हतो.
ते देरासरमां मूळ नायक भगवान श्री सीमंधर स्वामी छे,
अने तेमनी एक बाजुए भगवान श्री शांतिनाथ प्रभुनी तथा
बीजी बाजुए भगवान श्री पद्म प्रभु स्वामीनी भाववाहिनी
प्रतिमानी प्रतिष्ठा करवामां आवी छे. ते देरासर उपर–ना भागमां
भगवान श्री नेमनाथ प्रभुनी प्रतिमानी प्रतिष्ठा करवामां आवी छे.
परम पूज्य श्री सद्गुरु देव सं. १९९५ मां राजकोट
चातुर्मास माटे पधार्या हता, त्यारे दश मास तेओश्री राजकोटमां
रोकाया हता. ते वखते सद्गुरु देवना भक्तो श्रीयुत नानालाल
काळीदास, बेचरलाल काळीदास तथा मोहनलाल काळीदासे देरासर
बंधावी आपवानी तेमनी भावना प्रगट करी हती. अने ते भावना
थतां तेमां उपर मुजब प्रतिष्ठा थएली छे. ते देरासरमां संख्याबंध
मुमुक्षु भाई बहेनो भगवाननी पूजा–दर्शन–आरती अने भक्तिनो
लाभ लीए छे ए रीते ते एक महान प्रभावनानुं कार्य निवडयुं छे.
पूज्य सद्गुरु देव सोनगढमां बिराजता होय त्यारे–सांजना
व्याख्यान पछी हंमेशां देरासरजीमां एक कलाक नियम पूर्वक
भक्तिनुं कार्य पूज्य सद्गुरु देवनी हाजरीमां थाय छे.
दर साल प्रतिमानी प्रतिष्ठाना मांगलिक दिवसने महोत्सव
तरीके उजववामां आवे छे. अने ते वखते बहारथी संख्याबंध
मुमुक्षुओ ए महोत्सवमां भाग लेवा माटे आवे छे.
भगवान सीमंधर प्रभुनुं देरासर शेत्रुंजय उपर घणा वर्षो
पहेलांं बंधायुं छे, अने भरतखंडमां अनेक स्थळोए पण छे. जे
लोकोने ते हकीकतनी खबर नथी तेओने भगवान श्री सीमंधर
प्रभुनी प्रतिमा केम पधराववामां आवी ते संबंधे तर्क उठया करे छे.
पण जेओ हकीकतथी वाकेफ छे तेओ तो जाणे छे के आ प्रमाणेनी
स्थापना धर्मानुरागनुं एक निमित्त छे.
आ सालनी फागण सुद २ ना रोज पूज्य सद्गुरु देव
राजकोटमां बिराजमान छे, तेथी ते महोत्सव यथाविधि राजकोटमां
उजववामां आवशे.