Atmadharma magazine - Ank 006
(Year 1 - Vir Nirvana Samvat 2470, A.D. 1944)
(Devanagari transliteration).

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सम्यकत्वनी प्रतिज्ञा
[श्रीमद् राजचंद्र]
“मने ग्रहण करवाथी, ग्रहण
करनारनी ईच्छा न थाय तोपण मारे
तेने पराणे मोक्ष लई जवो पडे छे; माटे
मने ग्रहण करवा पहेलांं ए विचार
करवो के मोक्षे जवानी ईच्छा फेरववी
हशे तोपण काम आववानी नथी. मने
ग्रहण करवा पछी तो मारे तेने मोक्ष
पहोंचाडवो जोईए. ग्रहण करनार
कदाच शिथिल थई जाय तोपण बने तो
ते ज भवे अने न बने तो वधारेमां
वधारे पंदर भवे मारे तेने मोक्षे
पहोंचाडवो जोईए. कदाच मने छोडी
दई माराथी विरुद्ध आचरण करे
अथवा प्रबलमां प्रबल एवा मोहने
धारण करे तो पण अर्ध पुद्गल
परावर्तननी अंदर मारे तेने मोक्षे
पहोंचाडवो ए मारी प्रतिज्ञा छे!”
वार्षिक लवाजम छुटक नकल
अढी रूपिया चार आना
शिष्ट साहित्य भंडार * मोटा आंकडिया * काठियावाड