Atmadharma magazine - Ank 007
(Year 1 - Vir Nirvana Samvat 2470, A.D. 1944)
(Devanagari transliteration).

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ATMADHARMA Regd. No. B. 4787
त्रणकाळ त्रणलोकमां पोता उपर पडे नहीं.
खरेखर! आ बोधि दुर्लभ छे. साची समजण माटे पहेले ज धडाके सत्नो हकार आववो जोईए.
मुख्य गति बे छे, एक निगोद, बीजी सिद्ध. सत्नी जो ना पाडी तो कदाचित् एकाद भव बीजो करीने
पण पछी निगोदमां ज जाय. सत्ना विरोधनुं फळ निगोद ज छे. अने एकवार पण सत्नो अंतरथी यथार्थ
हकार आव्यो तो तेनी मुक्ति ज छे.
हकारनुं फळ सिद्ध–नकारनुं फळ निगोद. आ जे कहेवाय छे ते त्रिकाळ परम सत्य छे, त्रणकाळ
त्रणलोकमां सत् जोईतुं होय तो जगतने आ मान्ये ज छुटको छे.
सत् फरे तेम नथी, सत् समजवा माटे तारे फरवुं पडशे. सिद्ध थवा माटे सिद्ध स्वरूपनो हकार लावो!
... अनुक्रम...
ज्ञानाभ्यासनी जरूरियात ११०
अज्ञानीजीवनी आडाई अने
पुद्गलनी सरळता
११०
स्मरणमां राखवा योग्य नियमो १११
सत्यनो आदर ने अज्ञाननो त्याग
एज प्रथममां प्रथम धर्म छे. ११२
कुदेव, कुगुरु अने कुधर्मनो त्याग करो ११४
श्री सद्गुरु देवना अंतर उद्गार ११प
जेठ–आषाढ तिथि ११६
निश्चय व्यवहारनुं स्वरूप ११७
श्रीषट्खंडागम ज्यवंत रहो ११८
मफतमां कंई पण मलतुं नथी ११९
अविरत सम्यग्द्रष्टि ज्ञानी छे १२०
जड अने चेतन १२१
स्वरूपनुं श्रवण ते बुद्धिनो सदुपयोग १२१
त्रासनुं साम्राज्य १२२
अंतरथी सत्ना हकार वगर धर्म समजाशे नहीं १२३
श्री स्वाध्याय मंदिरमां वैशाख वद ८ ना रोज
आत्मधर्म मासिकना प्रचार माटे बपोरना व्याख्यान पछी
महेमानोने उदेशीने. श्री जमु रवाणीए कहेल
बे बोल
मुमुक्षु भाईओ अने बहेनो
आजना उजवल दिवसे आपणे उजवलता
प्रगटाववा अहिं आव्या छीए. ए उजवळता प्रगटवामां
सद्गुरुदेवनी वाणी निमित्त रूप छे.
परम पूज्य सद्गुरुदेवे अथाग पुरुषार्थ करी
मेळवेली अद्भुत वस्तु तेओश्री आपणने अपूर्व वाणी
द्वारा आपी रह्या छे.
ए अपूर्ववाणी ज्ञानाभ्यास माटे, स्वाध्याय माटे
अति उपयोगी छे. ए वाणीनो सौ जिज्ञासु भाई बहेनो
लाभ लई शके ते माटे आत्मधर्म मासिक प्रगट करवामां
आवे छे.
आ मासिकनुं संपादन आपणा माननीय मुरब्बी
श्री रामजीभाई करी रह्या छे के जेओ आत्मधर्ममां परम
पूज्य सद्गुरुदेवनी वाणी उपरांत समयसार, प्रवचनसार,
नियमसार, अने बीजां अनेक अलौकिक ग्रंथोनो अभ्यास
करी आपणे सहेलाईथी समजी शकीए एवुं लखाण आपी
रह्या छे.
एथी आ मासिकनो बहोळो फेलावो थाय अने
मुमुक्षु भाई बहेनो पूरतो लाभ ले तेम ईच्छुं छुं,
आ मासिकनो प्रचार तेना ग्राहक वधारी आपीने
तेमज आपनी नकल बीजाने वांचवा आपीने करी शकाय
छे. आपनी शक्ति होय तो स्वजन स्नेहीने तेमना वती
लवाजम भरी आत्मधर्म मोकलावी शको छो तेम न थई
शके तो आपणा साधर्मी बंधुओने के धर्मनुं रहस्य
समजवा ईच्छता भाविक जनोने आ मासिकना ग्राहक
थवा भलामण करी शको छो. अने तेम पण न थई शके तो
आ मासिकनुं समुह वांचन के आपनी नकल बीजाओने
वांचवा आपी आत्मधर्मनी प्रभावना करी शको छो. आशा
छे के आवी रीते आप आ कार्यमां पूरतो सहकार आपशो.
... सुवर्णपुरीना समाचार...
श्री समयसार प्रतिष्ठा वार्षिक महोत्सव दिन
वैशाख वद ६–८ ना रोज लगभग प०० मुमुक्षु भाई
बहेनो सोनगढ आवेला. ए बन्ने दिवसोए सद्गुरुदेवनी
अमृतवाणी सांभळवानो अपूर्व लाभ मळ्‌यो हतो.
रविवारे तेमज सोमवारे सवारना वरघोडामां
स्थानिक तेमज बहारथी आवेला तमाम भाई बहेनोए
भाग लीधो हतो.
बीजे दिवसे वरघोडामां जय समयसार, जय
समयसारनी स्तुति आबाल वृद्ध तमाम एकी अवाजे करी
रह्या हता. त्यारनुं द्रश्य श्री समयसार प्रत्येनी भक्तिनो
आबेहुब ख्याल आपतुं हतुं.
एवुं ज अनेरुं द्रश्य सोमवारे सांजे सनातन जैन
मंदिरमां भक्ति माटे बेठेला त्यारे हतुं. पवन अने
वरसादनी सखत झडीओ पडी रही हती त्यारे लगभग
तमाम भाई बहेनो देरासरमां समाई गया हता. एक तसु
जेटली पण जग्या खाली न हती. अने तेज वखते बहेनश्री
भक्तिभीना अवाजे जिन मंदिर अने स्वाध्याय मंदिरमां
पधारी प्रभुपद प्रगटाववानी धून लेवरावी रह्या हता.
आम बन्ने दिवसो खूब आनंदथी पसार थया
हता.
मुद्रक:– चुनीलाल माणेकचंद रवाणी
शिष्ट साहित्य मुद्रणालय, विजयावाडी, मोटा आंकडिया, काठियावाड. ता. २०–प–४४
प्रकाशक:– जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट सोनगढ वती जमनादास माणेकचंद रवाणी, विजयावाडी, मोटा आंकडिया काठियावाड.