छे, परनुं हुं कांई करी शकुं छुं तेम माने छे; एवो मोह अज्ञानभावे आत्मा करे छे पण तेमां कर्म तो निमित्त
मात्र छे. कर्म तो पर वस्तु छे. पर वस्तु ते आत्म तत्त्वने रोके के लाभ करे तेम त्रणकाळ त्रणलोकमां बने नहि,
पण पोतानुं स्वरूप भूलीने ‘आ शरीर, कुटुंबादि अने शुभाशुभ परिणाम ते ज हुं’ एम मानी स्वरूपनी
सावधानी चूक्यो अने परमां रागी थयो ते खरो मोह छे, तेमां जड कर्म निमित्त मात्र छे; पोते परमां सावधान
थयो अने स्वरूपमां असावधान थयो त्यारे जड कर्मने निमित्तरूप कहेवाय छे, ते द्रव्यमोह छे.
ज्ञानस्वभाव बधानी उपर तरतो छे.× ×
स्मस्त लोकना उपर तरतो छे. मारो ज्ञानस्वभाव परथी निराळो, प्रत्यक्ष उद्योतपणाथी सदाय अंतरंगमां
प्रकाशमान छे.
(समयसारजीनी) एकत्रीसमी गाथामां ओळखाण थवानुं कह्युं. ओळखाण थाय के तरत ज बधा वीतराग थाय
तेम बनतुं नथी. जे जाण्युं ने मान्युं तेमां पछी पुरुषार्थ करी क्रमे क्रमे स्थिर थतो जाय छे, ते वीतरागनी खरी
भक्ति छे.
स्त्री, पुत्रादि तरफनो वलणवाळो भाव ते अशुभ भाव छे. ते अशुभभावने टाळवा सामा भगवान तरफ
शुभभावमां जोडाय, पण आत्मा शुं वस्तु छे ने धर्मनो संबंध तो मारा आत्मा साथे छे तेम न माने तेने
भगवाननी साची स्तुति के भक्ति थई शके नहीं; आ राती–पीळी दुनिया के जे सारां शरीर, सारां खावा–
पीवानां, हरवुं–फरवुं ने मझा करवी एवी पचरंगी दुनियामां रच्यापच्या रहे तेने आ धर्म क्यांथी समजाय? ×
तारा आत्मानो संबंध तारी साथे छे, परनी साथे नथी. तुं तारा आत्माना धर्मना संबंधने परनी साथे मानतो
हो, देव–गुरु शास्त्रने पण तारा आत्माना धर्मना संबंधरूपे मानतो हो तो ते खरी स्तुति नथी; (तेम
आचार्यदेव समयसारजीनी ३३ मी गाथामां समजावे छे.) ........जुओ! आमां कोई पर करी दे नहीं तेवो
स्वतंत्र स्वभाव बताव्यो. ज्यारे तारो ज आत्मा स्वरूपनी जागृति वडे प्रयत्न करे अने ज्यारे मोहने क्षय करे
त्यारे ज मोह क्षय थाय, पण कोई पर करी दे तेम नथी, तेवुं स्वतंत्र स्वरूप बताव्युं. श्री समयसारजीमां
आचार्यदेवे नीचली दशावाळाने कह्युं के तारामां जेटलो संबंध कर तेटली साची भक्ति छे, पर अवलंबनथी धर्म
नथी; पण अंतरस्वरूपमां सम्यग्ज्ञानपूर्वक जेटली एकाग्रता–स्थिरता तेटलो धर्म छे, पर तरफना वलणनो भाव
ते शुभभाव–पुण्यभाव छे. ते अशुभराग टाळीने शुभ–विकल्परूप राग थाय खरो. जो शुभराग न थाय तो
पापराग थाय माटे ज्ञानी अशुभराग टाळी शुभरागमां जोडाय खरा, पण ते शुभभाव ते विकारीभाव छे,
संबंध तो आत्मा साथे छे. *