ATMADHARAM With the permissdon of the Baroda Govt. Regd No. B, 4787
order No. 30/24 date 31-10-44
वस्तु स्वरूपनुं यथार्थ दर्शन करवा
श्र समयसर प्रवचन
भाग–त्रीजो
“ भगवान श्री कुंदकुंद–कहान जैन शास्त्रमाला ” नुं प्रथम
पुष्प २००१ ना फागण सुद २ ना रोज प्रगट थयुं हतुं तेमां श्री
समयसारजीनी पहेली तेर गाथाओना प्रवचनोनो समावेश थयो
हतो. त्यारपछी गाथा २३ थी ६८ सुधीना प्रवचनोनो त्रीजो भाग,
श्री समयसार प्रतिष्ठा महोत्सव दिन [वैशाख वद–८] ना रोज
प्रगट थशे, आ भागमां ६०० उपरांत पानां थशे. तेनी कींमत रूा.
३–०–० छे.
“ग्रंथाधिराज तारामां भावो ब्रह्मांडनां भर्यां”
(समयसार–स्तुति) ए कथन अनुसार, महान परमागम श्री
समयसारजीमां रहेला ब्रह्मांडना–संपुर्ण आत्मस्वरूपना–भावोने आ
समयसार प्रवचनोमां पु. सद्गुरुदेवे खूल्लां कर्यां छे; अने शक्य
एटलो विस्तार करीने सूक्ष्ममां सूक्ष्म तत्त्वोने तद्न सहेलां अने
स्पष्ट करीने ‘हथेळीमां चांद’ नी जेम वस्तुस्वरूप दर्शाव्युं छे.
आ भागना अगाउथी ग्राहको नोंधवानी शरूआत थई गई
छे, जेमने अगाउथी किंमत भरी ग्राहक तरीके नाम लखाववा ईच्छा
होय तेओए नीचेना सरनामे लखवुं:–
“श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट–सोनगढ– (काठियावाड)
नोंध:–बीजा भागनुं गाथा १४ थी २२ सुधीना व्याख्यानोनुं
लखाण तैयार थाय छे, ते त्रीजो भाग प्रगट थया पछी प्रगट थशे.
आजीवन ब्रह्मचर्य
सां–२००१ ना प्रथम चैत्र सुद–१० ना रोज गढडाना
भाईश्री गंभीरदास वलभदास [उ. व. ४१] तथा तेमनां धर्मपत्नी
हेमकुंवरबेन [उ. व. ३२] तेमणे सजोडे पू. श्री सद्गुरुदेव पासे
आजीवन ब्रह्मचर्यव्रत अंगीकार कर्युं छे
ता. २–४–४५, प्रथम चैत्र वद–प ना रोज करांचीना भाईश्री
मोहनलाल वाघजी–तथा तेमनां धर्मपत्नी डाहीबेन–तेमणे सजोडे पू.
श्री सद्गुरुदेव पासे आजीवन ब्रह्मचर्यव्रत अंगीकार कर्युं छे.
आ मासमां पाळवानी तिथिओ
सुद–२ शनिवार सुद–१४ गुरुवार
सुद–५ [क्षय छे] सुद–१५ शुक्रवार
सुद–८ गुरुवार वद–२ रविवार
सुद–११ रविवार वद–प बुधवार
सुद–१३ बुधवार वद–८ शनिवार
श्री महावीर जन्मकल्याणक वद–११ मंगळवार
महोत्सव तथा श्री सद्गुरुदेव वद–१४ गुरुवार
परिवर्तन दिन वद–०)) शुक्रवार
निवेदन
गया अंकमां शिष्ट साहित्य
भंडार बंध थयाना समाचार जणाव्या
पछी आजे शिष्ट साहित्य कार्यालय
बंध कर्याना समाचार जणावुं छुं. एथी
हवे पछी तमाम ग्राहकोए सघळो
पत्रव्यवहार हिसाबी तेमज व्यवस्था
अंगेनो आत्मधर्म कार्यालय
(सुवर्णपुरी) सोनगढ काठियावाड ए
सरनामे करवानो छे.
केटलाक खास कारणोसर
आत्मधर्म मासिकनी हिसाबी तथा
रवानगीनी सघळी व्यवस्था
सोनगढथी ज थाय एवी मारी ईच्छा
थवाथी आत्मधर्म कार्यालयनी
शरूआत करी छे.
ए कार्यालयनी सघळी
जवाबदारी मारी ज छे. एटले के श्री
जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टनी आत्मधर्म
कार्यालय संबंधेनी कोईपण प्रकारनी
जवाबदारी नथी.
आथी सौ गाहकबंधुओने
जणाववा रजा लउं छुं के आत्मधर्म
कार्यालय साथे उपरनी समजण
ध्यानमां राखीने ज व्यवहार करे.
तारीख जमु रवाणी.
ता. १०–४–४५ संचालक
आत्मधर्म कार्यालय
समाचार
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट
तरफथी प्रगट थयेला तमाम पुस्तको
तथा आत्मधर्म मासिकनी फाईल
तेमज हींदी अने गुजराती आत्मधर्म
मासिक मुंबईमां नीचेने ठेकाणेथी
मळशे श्री जैन ग्रंथ रत्नाकर कार्यालय
हीराबाग; सी. पी. टेंक. मुंबई–४
मुद्रक–प्रकाशक:– श्री जैन स्वाध्याय
मंदिर ट्रस्ट वती जमनादास
माणेकचंद रवाणी शिष्ट साहित्य
मुद्रणालय दासकुंज मोटा आंकडिया
काठियावाड ता. १०–४–४५