वर्ष : २ भडना दीकरा द्वितिय चैत्र
अक : ७ २०१
अरेरे! अनंतकाळे आवो अवतार मळ्यो
अने चिदानंद स्वरूप भगवान आत्मानी
ओळखाण न मळे! क्यां अवतार? क्यां शरण?
आत्मा देह – मन वाणीथी जाुदो छे तेनो निर्णय करे
नहि, अने सत्समागमे सांभळवा पण नवरो
थाय नहि ते दुष्ट छे, पोतानी ज काळजी विनानो
छे. जे भगवाना मार्गने समजता नथी ते भव
भय रहित एवा, भडना दीकरा छे. त्रण लोकना
नाथ तीर्थंकर भगवान पण संसारथी डर्या – अने
स्वरूपनुं भान करीने संसारथी पार तर्या. जे
संसारथी भगवान पण डर्या ते संसारना भयथी
नहि डरनार बधा भडना दीकरा छे – ऊंधाईमां
महान सुभट छे.
परम पूज्य सद्गुरुदेवश्रीना सत्ता –
स्वरूप उपरना व्याख्यानमांथी
: सपदक :
रामजी माणेकचंद दोशी
वकील
वार्षिक लवाजम प्राप्तिस्थान छुटक नकल
अढी रूपिया चार आना
आत्मधर्म कार्यालय (सुवर्णपुरी) सोनगढ काठियावाड