: संपादक :
रामजी माणेकचंद दोशी
वकील
सत्श्रुतनी आराधना करो
जेठ सुद ५ ए श्रुत-पंचमीनो दिवस मुमुक्षु जीवोने माटे
महा मांगलिक छे, माटे ते रोज भि•तभावे श्रुतपूजा करी, श्रुतज्ञाननी
रुचि वधारी धर्मनी वृद्धि करवी योग्य छे.
जेठ सुद ५ना रोज श्री भूतबलि आचार्यदेवे चतुर्विध
संघनी साथे श्रुतज्ञाननी पूजा करी, तेथी ते दिवस जैनोमां श्रुत
पंचमी तरीके प्रख्यात छे अने जैनो ते तिथिए श्रुतनी पूजा करे छे.
येष्ट सितपक्ष पंाभ्यांाातुर्वर्ण्य संघ समवेतः।
तत्पुस्तकोपकरणै र्व्यघात् क्रियाप्तूर्वकं प्तूााम्।।१४३।।
श्रुतपंामीति तेन प्रख्याति तिथिरियं परामाप।
यद्धापि येन तस्यं श्रुत प्तूाां कुर्वतेौनाः।।१४४।।
अर्थः- जेठ मासना शु•ल पक्षनी पांचमे चातुर्वर्णी संघ सहित ते पुस्तकने
[श्री षट्खंडागमने] उपकरण मानी क्रिया पूर्वक पूजा करी हती तेथी ते तिथि
श्रुत पंचमी तरीके सारी रीते प्रख्याति पामी छे अने
आजे पण जैनो ते रोज श्रुत पुजा करे छे.
श्रुत पंचमी मंगल दिवस छे ते दिवसे सत्श्रुतनी आराधना करो
वार्षिक लवाजम आत्मधर्मनो वधारो छूटक नकल
अढी रूपिया श्रुत पंचमीः २००१ चार आना
आत्मधर्म कार्यालय (सुवर्णपुरी) सोनगढ काठियावाड