Atmadharma magazine - Ank 022
(Year 2 - Vir Nirvana Samvat 2471, A.D. 1945)
(Devanagari transliteration).

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वर्ष: २
अंक: १० अषाढ २००१
• धर्मनुं मूळ दर्शन छे •
: सं पा द क :
रामजी माणेकचंद दोशी
वकील
२५०१
वीर शासन जयंति महोत्सव
आ मासमां अषाढ वद १ ना सुप्रभाते जगत्
कल्याणकारी श्री वीरशासन जयंतिना २५०१ वर्ष
पूरां थाय छे. अषाढ वद १ ए शासन जयंतिनुं बेसतुं
वर्ष छे...
महावीर भगवानने केवळज्ञान प्रगट्या पछी
दिव्य–ध्वनिना अखंड प्रवाह छूटया अने श्री गौतम
प्रभु गणधर पदवी पाम्या तथा परमागम शास्त्रोनी
रचना थई–ए पवित्र प्रसंगोनो महान दिवस एटले
अषाढ वद एकम....
‘अहो! आजना ज दिवसे वीरशासननो
ध्वनि छूटयो...’ एम पोताना ज्ञानमां केवळज्ञान
साथेनी संधि करीने भव्य जीवो एकावतारी थई जाय
एवो आजनो दिवस छे... आजे वीरशासननो जीवंत
दिवस छे, ठेठ केवळज्ञानथी चाली आवेली वाणी महा
भाग्ये आजे पण सांभळवा मळे छे...

वार्षिक लवाजम
छुटक नकल
अढी रूपिया चार आना
• आत्मधर्म कार्यालय (सुवर्णपुरी) सोनगढ काठियावाड •