अनुभव थया पहेलांं आवो निश्चय करवो जोईए. आ सिवाय बीजुं माने तो व्यवहारे पण आत्मानो निश्चय
ज्ञानस्वभावनी पक्कडथी ज ज्ञान थाय. आत्मा तरफ लक्ष अने श्रद्धा कर्या वगर सम्यग्दर्शन–सम्यग्ज्ञान थाय
क्यांथी? पहेलांं देव–गुरु–शास्त्रना निमित्तोथी अनेक प्रकारे श्रुतज्ञान जाणे अने ते बधामांथी एक आत्माने तारवे
पछी तेनुं लक्ष करी प्रगट अनुभव करवा माटे, मति–श्रुतज्ञाननी बहार वळती पर्यायोने स्वसन्मुख करतां तत्काळ
निर्विकल्प निजस्वभावरस आनंदनो अनुभव थाय छे. परमात्म स्वरूपनुं दर्शन जे वखते करे छे ते ज वखते
आत्मा पोते सम्यग्दर्शनरूप प्रगट थाय छे; आत्मानी प्रतीत जेने आवी गई छे तेने पाछळथी विकल्प आवे त्यारे
पण जे आत्मदर्शन थई गयुं छे तेनुं तो भान छे, एटले के आत्मानुभव पछी विकल्प ऊठे तेथी सम्यग्दर्शन चाल्युं
जतुं नथी. कोई वेशमां के वाडामां सम्यग्दर्शन नथी पण स्वरूप एज सम्यग्दर्शन अने सम्यग्ज्ञान छे.
पण टळता जाय छे. बहारना लक्षे जे वेदन थाय ते बधुं दुःखरूप छे, अंदरमां शांतरसनी ज मूर्ति आत्मा छे
तेना लक्षे जे वेदन ते ज सुख छे. सम्यग्दर्शन ते आत्मानो गुण छे, गुण ते गुणीथी जुदो न होय. एक अखंड
प्रतिभासमय आत्मानो अनुभव ते ज सम्यग्दर्शन छे.
तत्त्वनी श्रद्धा वगर अंदरना वेदननी रमझट नहि जामे. प्रथम अंतरथी सतनो हकार आप्या वगर सत
स्वरूपनुं ज्ञान थाय नहि अने सत स्वरूपना ज्ञान वगर भवबंधननी बेडी तूटे नहि. भवबंधनना अंत
वगरनां जीवन शा कामना? भवना अंतनी श्रद्धा वगर कदाच पुण्य करे तो तेनुं फळ राजपद के ईन्द्रपद मळे
परंतु तेमां आत्माने शुं? आत्माना भान वगरना तो ए पुण्य अने ए ईन्द्रपद बधांय धूळधाणी ज छे, तेमां
आत्मानी शांतिनो अंश पण नथी. माटे पहेलांं श्रुतज्ञानवडे ज्ञानस्वभावनो द्रढ निश्चय करतां प्रतीतमां भवनी
शंका ज रहेती नथी. अने जेटली ज्ञाननी द्रढता थाय तेटली शांति वधती जाय छे.
पोताना गाणां गाया नहि; भगवाननी प्रतिमा सामे कहे के ‘हे नाथ, हे भगवान! आप अनंत ज्ञानना धणी
छो’ त्यां सामो पण एवो ज पडघो पडे के ‘हे नाथ, हे भगवान! आप अनंतज्ञानना धणी छो’ ... अंतरमां
ओळखाण होय तो ए समजेने! ओळखाण वगरना अंतरमां साचो पडघो
कहेवाय छे. केवळीपद, सिद्धपद के साधु पद ए बधा एक आत्मामां ज समाय छे. समाधिमरण आराधना ए
वगेरे नामो पण स्वरूपनी स्थिरता ज छे. आ प्रमाणे आत्मस्वरूपनी समजण ए ज सम्यग्दर्शन छे अने ए
सम्यग्दर्शन ज सर्व धर्मनुं मूळ छे, सम्यग्दर्शन ज आत्मानो धर्म छे...
भेट पुस्तक मळी जाय.