Atmadharma magazine - Ank 024
(Year 2 - Vir Nirvana Samvat 2471, A.D. 1945)
(Devanagari transliteration).

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वर्ष: २
अंक: १२ भाद्रपद २ ० ० १
अढी रूपिया छुटक नकल
चार आना
(२४)
: सं पा द क :
रामजी माणेकचंद दोशी
वकील
• अणमलरत्न •
महाविदेह क्षेत्रे
विहरमान देवाधिदेव श्री सीमंधर
भगवाननी समीपे जईने
भगवती एकाक्षरी दिव्यध्वनिने
यथार्थ रीते झीलीने अकषायी
करुणाना सागर श्री
कुंदकुंदाचार्यदेवे ते जिनवाणीने
परमागम श्री समयसार
शास्त्रमां भरपूर भरी लीधी छे.
अने
भरत क्षेत्रना भवी जीवोना
महान सुभाग्ये परमागमश्री
समयसार शास्त्रमां रहेली
वीतरागनी ए दिव्य–
वाणीने परम कृपाळु सद्गुरु
देवश्री कानजी स्वामीए तेना
गूढ रहस्योने उकेली सादी, सरळ
छतां सचोट भाषामां वहेती मूकी
छे अने–
ए कल्याणकारी पवित्र
परमात्मवाणीनुं अमृतपान
मुमुक्षुओ सुवर्णपुरी–सोनगढना
स्वाध्याय मंदिरमां अहर्निश करी
रह्या छे. ते अमृतवाणीने
सुभागी आत्माओ झीली ले छे
अने दरमासे अलौकिक मासिक
आत्मधर्ममां प्रगट करे छे.
एथी
आत्मधर्म ए भरतक्षेत्रना भवी जीवोनुं संसार परिभ्रमण टाळी
शाश्वत सुख, अखंड सुख अपावनारुं अणमूलुं रत्न छे. ए आत्मधर्म
मासिक भाद्रपद सुद बीजे २४ अंक पूरा करी आसो सुद बीजे २प मां
अंकमां प्रवेशशे. ए वखते भरतक्षेत्रना आ अद्वितिय मासिकने अति
उल्लास, आनंद अने भक्तिभावपूर्वक वधावीए अने ते सनातन सत्य,
शाश्वत सत्य, परम सत्यना प्रचारनार वीतरागना परमशास्त्र–आत्मधर्म
मासिकनी महान प्रभावना करीए एवी मनोकामना छे.
प्रकाशक
* आत्मधर्म कार्यालय (सुवर्णपुरी) सोनगढ काठियावाड *