Atmadharma magazine - Ank 031
(Year 3 - Vir Nirvana Samvat 2472, A.D. 1946)
(Devanagari transliteration).

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ATMADHARMA With the permisson of the Baroda Govt. Regd. No. B. 4787
order No 30-24 date 31-10-44
ग्रंथ – प्रकाशन
श्रस्त्र
पुष्प–१. समयसार–प्रवचनो भाग–१ ... ३–०–०
पुष्प–२. समयसार–प्रवचनो भाग–३ ... ३–०–०
पुष्प–३. पूजा–संग्रह (गुजराती) ... ०–६–०
पुष्प–४. छह–ढाळा (गुजराती) ... ०–१२–०
पुष्प–प. समवसरण–स्तुति ... ०–३–०
पुष्प–६. अमृतझरणां (सत्तास्वरूप–प्रवचनो) ०–६–०
पुष्प–७. जिनेन्द्रस्तवनावली ... ०–६–०
पुष्प–८. नियमसार–प्रवचनो भाग–१ ... १–८–०
पुष्प–९. समयसार–प्रवचनो भाग–२ ... २–०–०
समयसार–प्रवचनो भाग–४ छपाय छे.
मोक्षशास्त्र–गुजराती टीका छपाय छे.
आत्मसिद्धिशास्त्र [शब्दार्थ साथे] छपाय छे.
सम्यग्ज्ञान–दीपिका [गुजराती] छपाय छे.
मुक्तिका मार्ग (हिंदी) छपाय छे.
– :अन्य प्रकाशनो: –
मोक्षमार्ग प्रकाशक (बीजी आवृत्ति) ... ३–०–०
आत्मसिद्धि–प्रवचनो [बीजी आवृत्ति] ... ३–०–०
अपूर्व अवसर–प्रवचनो ... ०–८–०
मोक्षनी क्रिया ... ०–१०–०
सत्तास्वरूप (गुजराती) ... ०–९–०
जैनसिद्धांतप्रवेशिका [त्रीजी आवृत्ति] ... ०–८–०
सर्वसामान्यप्रतिक्रमण (बीजी आवृत्ति) ... ०–८–०
द्रव्यसंग्रह [गुजराती] ... ०–७–०
समयसार [गुटको] ... ०–५–०
बारभावना (कुंदकुंदाचार्यकृत) ... ०–४–०
आत्मधर्म–फाईल वर्ष–१ ... ३–४–०
आत्मधर्म–फाईल वर्ष–२ ... ३–०–०
आत्मधर्म–मासिक [हिंदी लवाजम] ... ३–०–०
– : श्री जैन स्वाध्याय मंदिर सोनगढ : –
: सुवर्णपुरी – समाचार : –
१. परम पूज्य सद्गुरुदेवश्री सुखशांतिमां बिराजे छे.
२. हालमां सवारना व्याख्यानमां श्री प्रवचनसारजी–ज्ञेय अधिकार वंचाय छे, तेनी १२३ गाथाओ वंचाई
गई छे. गुजराती प्रवचनसारजीनी १२६ गाथाओ छपाई गई छे, आ मासमां तेनुं वांचन पूर्ण थईने
श्री अष्टपाहुडनुं वांचन शरू थशे.
३. बपोरे श्री समयसारजी वंचाय छे, तेमां ‘अनेकान्त’ संबंधी छेल्लुं परिशिष्ट चाले छे. सभामां प्रवचन रूपे
आ सातमी वखतनुं वांचन पूर्ण थईने आठमी वखतनुं वांचन आ मासमां शरू थशे; साथे साथे आ ज
मासमां (वैशाख वद ८ ना रोज) श्री समयसारशास्त्रजीनो महा मंगळ प्रतिष्ठा महोत्सव आवे छे.
४. वैशाख वद ६ ना रोज श्री समवसरणनो मंगल प्रतिष्ठामहोत्सव आवे छे.
५. वैशाख सुद २ ना रोज परम पू. सद्गुरुदेवश्रीनो मंगळ जन्म–दिवस छे...
६. वै. सु. ३. श्री ऋषभदेवभगवानने श्रेयांसकुमारे विधिपूर्वक आहारदान कराव्युं, सर्वोत्कृष्ट पात्र अने
सर्वोत्कृष्ट दातार वडे आहारदाननो पवित्र प्रसंग भरतक्षे्रत्रमां सौथी प्रथम आ हतो.
७. वै. सु. १०. श्री महावीरप्रभुजीने केवळज्ञान प्रगट्युं–पवित्र जीवन्मुक्तदशा प्रगटी. ते कल्याणिकनो दिवस छे.
– : निवेदन : –
एक वर्षना अनुभव पछी बधी रीते विचार करतां जणायुं के ‘आत्मधर्म कार्यालय’ मोटाआंकडिया रहे
तो सारुं; एथी वीर संवत २४७२ ना वैशाख सुद २ थी आत्मधर्म हिंदी तेमज गुजरातीनी व्यवस्था
मोटाआंकडियाथी ज थशे, माटे हवे पछी ग्राहकोए आत्मधर्म अंगेनो सघळो पत्र व्यवहार नीचेने सरनामे
करवो. जमु रवाणी
व्यवस्थपक : –
आत्मधर्म कार्यालय, मोटाआंकडिया (काठियावाड)
मुद्रक: चुनीलाल माणेकचंद रवाणी, शिष्ट साहित्य मुद्रणालय, दासकुंज, मोटा आंकडिया, काठियावाड.
प्रकाशक: जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ वती जमनादास माणेकचंद रवाणी, मोटा आंकडिया. ता. २८–४–४६