ATMADHARMA With the permisson of Baroda Govt. Regd. No. B. 4787
order No. 30-24 date 31-10-44
सुवर्णपुरीमां मंगलमहोत्सव
वैशाख वद – ६ श्री समवसरण प्रतिष्ठा महोत्सव दिन
सवारे
प।।–५।। श्री सद्गुरुवंदन–स्तुति.
५।।–६।। श्री समवसरण मंदिरमां श्री जिनेन्द्रदेवनुं तथा
कुंदकुंदाचार्यदेवनुं समूहपूजन.
७।।–८।। पू. सद्गुरुदेवनुं व्याख्यान. [अष्टप्राभृत गाथा–७]
८।।–९।। श्री जिनेन्द्रप्रभुनी रथयात्रा.
बपोरे
१।।–२।। श्री प्रवचनसार–गुजराती हरिगीतनी स्वाध्याय
[गाथा. १२६ सुधी]
३–४ पू. सद्गुरुदेवनुं व्याख्यान [श्री समयसारजी पा.
५०८ त्रीजो पारिग्राफ, पहेली आठ लाईन].
४–५ श्री समवसरणमां श्री जिनेन्द्रदेवनी तथा
कुंदकुंदाचार्यदेवनी भक्ति. [समवसरण स्तुतिमांथी
छूटक कडीओ.]
६।।।–७। आरति [श्री जिनेन्द्रदेवनी आचार्यदेवनी
तथा श्रुतज्ञाननी].
७। –८ भाईओमां मोक्षमार्ग प्रकाशकनुं वांचन.
८–९ रात्रिचर्चा.
वैशाख वद – ७
८–९ व्याख्यान (अष्टप्राभृत गाथा ८).
१–२।। समयसार हरिगीतनी स्वाध्याय–गाथा. १ थी
१९२
३–४ व्याख्यान. (समयसार पा. ५०८ छेल्लो पारिग्राफ,
नवमी लाईनथी पा. ५०९ पुरुं.)
४–५ जिनमंदिरमां भक्ति (स्तवन १. जिनेन्द्रस्तवन मंजरी
पा. २३८ स्तवन. २. समवसरण स्तुति पा. ३५).
६।।।–७। आरति.
७।–८ वांचन. मोक्षमार्गप्रकाशक.
८–९ रात्रिचर्चा.
वैशाख वद – ८
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर – उद्घाटन दिन तथा
श्री समयसारजी प्रतिष्ठा – महोत्सव दिन
सवारे
प।–प।। श्री सद्गुरुवंदन–स्तुति.
५।।–६।। श्री जिनमंदिरमां समूह पूजन.
७।–८ श्री समयसारजीनी रथयात्रा.
८–९ व्याख्यान (अष्टप्राभृत गाथा. ९–१०).
९–१० श्री समयसारजीनी ज्ञानपूजा तथा भक्ति.
बपोरे
१–२।। श्री समयसार हरिगीतनी स्वाध्याय (गाथा १९३
थी ४१५).
३–४ व्याख्यान (श्री समयसारजी पा. ५१०).
४–५ श्री जिनमंदिरमां भक्ति (१. स्तवन–मंजरी. पा.
३६९ स्तवन नं. ३५१ २. स्तवनमंजरी पा.
२५६).
६।।।–७। आरति.
७।–८ वांचन–मोक्षमार्ग प्रकाशक.
८–९ रात्रिचर्चा.
• सु व र्ण पु री – स मा चा र •
(वैशाख वद ८ सुधी)
१. हालमां सवारे व्याख्यानमां श्री अष्टप्राभृत वंचाय छे, तेनुं वांचन वैशाख सुद ६ थी शरु थयुं छे,
हाल तेनी १० गाथा वंचाई गई छे. आ शास्त्र श्रीकुंदकुंदाचार्यदेवनुं रचेलुं छे तेना उपर श्री जयचंद्रजी पंडिते
भावार्थ भर्यो छे; तेना आठ प्राभृत (–अधिकार) मां प्रथम दर्शन अधिकार छे. आ पुस्तक हिंदीमां छे–अत्यारे
वेचाण मळतुं नथी.
२. बपोरे श्री समयसारजी वंचाय छे. तेना २६८ कळश (पा. ५१०) सुधी वांचन थई गयुं छे, हवे
मात्र दस कळश बाकी छे.
३. श्री समयसार–प्रवचनो भाग बीजो प्रगट थई गयेल छे. तेनी पडतर किंमत लगभग रूा. २/– होवा
छतां वधारे मुमुक्षुओ लाभ लई शके ते हेतुए तेनी किं. रू/– १–८–० राखवामां आवी छे. आ उपरांत श्री
आत्मसिद्धि शब्दार्थ साथे बहार पडेल छे, तेनी किंमत ०–४–० छे. अने मात्रा गाथाओ स्वाध्याय माटे छपायेल
छे तेनी किंमत ०–२–० छे.
मुद्रक: चुनीलाल माणेकचंद रवाणी, शिष्ट साहित्य मुद्रणालय, दासकुंज, मोटा आंकडिया, काठियावाड.
प्रकाशक: जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ वती जमनादास माणेकचंद रवाणी, मोटा आंकडिया. ता. ३०–५–४६