ATMADHARMA With the permisson of the Baroda Govt. Regd. No. B. 4787
order No. 30-24 date 31-10-44
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
बने ज नहि. जेने द्रव्यनी प्रतीत थई तेने द्रव्यना त्रिकाळी पर्यायोनी पण प्रतीत थाय ज. जो पूरी पर्यायनी प्रतीत
न आवे तो द्रव्यनी ज प्रतीत थई नथी. जेने एक अवस्थानी पण प्रतीत नथी तेने तेवी अनंत अवस्थाओवाळा
द्रव्यनी प्रतीत क्यांथी होय? श्रद्धानो विषय नबळी पर्याय नथी परंतु श्रद्धानो विषय परिपूर्ण द्रव्य ज छे. परिपूर्ण
द्रव्यनी पर्याय पण पूरी ज होय तेथी सम्यग्दर्शन साथे ज पूर्ण पर्यायनी प्रतीत पण भेगी ज छे. सम्यग्दर्शनने अने
केवळज्ञाननी प्रतीतने आंतरो नथी एटले के सम्यग्दर्शन प्रगट थतां ते ज वखते प्रतीतरूपे केवळज्ञान प्रगटे छे. जो
सम्यक्श्रद्धाना पहेला ज समये पूर्णतानी प्रतीत न आवे तो पछी कई क्षणे आवशे? पूर्ण द्रव्यनी प्रतीत ते ज पूर्ण
पर्यायनी प्रतीतनुं कारण छे. पूर्ण द्रव्यनी प्रतीत वडे जे समये सम्यग्दर्शन थयुं ते ज समये जो केवळज्ञाननी प्रतीत न
आवे तो त्यार पछीना कोईपण समये ते प्रतीत थवानुं कारण कोण? जो सम्यग्दर्शन थतां ते प्रतीत न प्रगटे तो
पछी चार ज्ञान थतां के केवळज्ञान थतां ते प्रतीत थवानुं कारण कोण? ते प्रतीत थवानुं कारण श्रद्धा सिवाय अन्य
कोई नथी तेथी सम्यक््श्रद्धाना पहेला ज समये द्रव्यनी प्रतीत भेगी अभेदपणे केवळज्ञाननी पण प्रतीत होय छे.
(७६) द्रव्यनी प्रतीत थतां ज पूर्णतानो भरोसो थाय छे. ज्ञाननो स्वभाव परिपूर्ण जाणवानो छे तेथी
श्रद्धानो स्वभाव पण तेने (ज्ञानने) परिपूर्णपणे प्रतीतमां लेवानो छे. पूरा ज्ञाननी प्रतीतमां केवळज्ञान सिवाय
अधूरा ज्ञाननी प्रतीत होय नहि. द्रव्य पूरा स्वभाववाळुं छे अने श्रद्धा पूरानी प्रतीत करे छे, त्यारे द्रव्य अने
श्रद्धानी पर्याय एक थाय छे, ते ज सम्यग्दर्शन छे. (चालु...)
आत्मधर्म – प्रभावना
आत्मधर्म मासिकनी ग्राहक संख्या गया वर्षना छेवटना महिनाओमां सारा प्रमाणमां वधी हती. तेथी नवा
ग्राहकोने सहेलाईथी समजाय एवा व्याख्यानो अने प्रश्नोत्तर आपवा माटे तेम ज जुना नवा तमाम ग्राहकोने
तेओनी भूमिका अनुसार स्वाध्याय माटे ठीक रीते लेखन आपी शकाय ए हेतुथी छेल्ला चार महिनाथी चार पाना
वधु अपाय छे ए वधाराना खर्चने (जे वार्षिक हजारेक रूपिया थवा संभव छे) पहोंची वळवा माटे श्री मुळजीभाई
भगवानजी खारा–अमरेली–ए रूा. प००) पांचसो आपेला छे. ते माटे अभिनंदन.–रवाणी
कुंदकुंद प्रभु केवा हशे?
मने कोने कुंदकुंद प्रभु केवा हशे...?
क्यां रहेतां हशे?....शुं करता हशे...?... मने०१.
सीमंधर देवना दर्शन करीने
संदेशो लावनार केवा हशे?... मने०२.
‘सार–समय’ केरी बंसरी बजावी
हैया डोलावनार केवा हशे?... मने०३.
दर्शन महत्ता ने चेतननी शुद्धता
विश्वे गजावनार केवा हशे?... मने०४.
निश्चय निहाळनार शासन शोभावनार
सुधाना सींचनार केवा हशे?... मने०प.
– (जिनेन्द्र–स्तवन–मंजरी पा. ३९९)
सुवर्णपुरी–समाचार
(१) परम पूज्य सद्गुरुदेवश्री सुख शांतिमां बिराजे छे. (२) हाल सवारना प्रवचनमां श्री अष्टप्राभृत
वंचाय छे, तेमां पांचमुं भावप्राभृत पूरुं थयुं छे अने छठ्ठुं मोक्ष प्राभृत शरू थयुं छे. बपोरे श्री समयप्राभृत वंचाय
छे, तेमां ३२ गाथा वंचाई गई छे. बपोरे व्याख्यान पहेलां भाईओमां पंचाध्यायीनुं वांचन चाले छे, तेमां पहेलां
अध्यायनी १८० गाथा वंचाई गई छे. आ उपरांत हंमेशा सवारे जिनमंदिरमां पूजन, बपोरे जिनमंदिरमां भक्ति,
सांजे जिनमंदिरमां आरति अने रात्रे भाईओ माटे चर्चा ए सामान्य कार्यक्रम छे. (३) कारतक सुद ७ना रोज
‘पंडित प्रवर टोडरमलजी’ नो देहांत थयो हतो, ते दिवसे ‘पंडित प्रवर वीर टोडरमल्लजी स्मृति दिन’ मनायो हतो.
(४) अष्टाह्निनका पर्व कारतक सुद ८ थी १प सुधी श्री अष्टाह्निनका महोत्सव मनायो हतो. आ दिवसो दरमियान
नंदिश्वरद्वीपे रहेला शाश्वत जिनमंदिरोमां बिराजमान शाश्वत जिनप्रतिमाओनुं पूजन करवा माटे देवो जाय छे अने
त्यां आठ दिवस सुधी पूजन, भक्ति इत्यादि वडे महोत्सव ऊजवे छे आ महोत्सव वर्षमां त्रण वार (कारतक,
फागण तथा अषाढ मासनी सुद ८ थी १प सुधी) आवे छे. (प) मागशर वद ८ शासनमान्य भगवानश्री कुंदकुंद
आचार्य देवने शासन रक्षक आचार्य पदवी मळ्यानो मांगलिक दिवस छे.
मुद्रकः– चुनीलाल माणेकचंद रवाणी, शिष्ट साहित्य मुद्रणालय, दासकुंज, मोटा आंकडिया, काठियावाड.
प्रकाशकः– जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट वती जमनादास माणेकचंद रवाणी, आत्मधर्म कार्यालय, मोटा आंकडिया, ता. १९–११–४६