चर्चा समजतां घणो प्रमोद थयो हतो अने घणा उल्लासथी अनेक वखत पू. गुरुदेव प्रत्ये तेओ बोल्या हता के
अमारुं तो बधुं भूलवाळुं हतुं, आपे ज सत्य समजाव्युं छे. अत्यार सुधी अमारी द्रष्टिए शास्त्रना अर्थो बेसाडता,
पण शास्त्रना वास्तविक अर्थ शुं छे–ते आपे ज शीखव्युं छे. अमारा श्रद्धा, ज्ञान, चारित्र, व्रत, त्याग वगेरे बधुं
भूलवाळुं हतुं; तेमने त्रण दिवसना परिचयथी घणो संतोष अने आदरभाव थयो छे.
अने सत् प्रत्येनो उल्लास आवतां तेमणे पू. गुरुदेवश्री प्रत्येनी भक्तिभावना दर्शावतुं एक घणा भाववाळुं काव्य
बनावीने फागण सुद ३ नी रात्रे गायुं हतुं. अने त्यारपछी ते रात्रे स्पेश्यल ट्रेईनद्वारा तेओ बधा वींछीया पधार्या
हता.
जिनमंदिर तथा श्री जैन स्वाध्यायमंदिरनुं खात मुहूर्त थयुं हतुं.
वींछीया जेवा नाना गाममां श्रीमान सर हुकमचंदजी शेठ अने श्रीमान नेमिचंदभाई शेठ जेवा बे महान शेठीयाओनुं
सहकुटुंब पधारवुं अने तेमना शुभहस्ते श्रीजिनमंदिर अने स्वाध्यायमंदिरनुं खातमुहूर्त थयुं–ए तो घणा काळमां
नहि बनेलो एवो अद्वितीयप्रसंग छे. जैन धर्म सनातन वस्तुस्वभावरूप सत्यमार्ग छे. ते सत्यधर्मनो प्रकाश अने
विस्तार पू. सद्गुरुदेवश्री कानजी स्वामी करी रह्या छे. तेनो जे विस्तृत प्रचार थवा मांडयो छे ते वृद्धिगत थईने
समग्र हिन्दुस्तानमां फेलाशे एम केवळज्ञानी भगवानना दिव्यज्ञानमां भासेलुं छे–एमां शंकाने स्थान नथी.
आपीश. मारी तो भावना छे के आखा काठियावाडमां जिनमंदिर तथा स्वाध्याय मंदिर बनी जाय अने जैनधर्मना
डंका सारा हिन्दुस्तानमां वागी जाय. आप लोकोनो अति उत्साह अने उत्कट धर्मप्रेम जोईने मारा हृदयमां हर्ष
समातो नथी. जीवनभरमां में आवी धर्मभक्ति देखी नथी. महाराजजीए मोक्षमार्गनुं वास्तविक स्वरूप स्पष्टपणे
निरूपण करीने हजारो भव्यजनोने सत्धर्ममां आकर्षीत कर्या छे. अमे हंमेशां तेमनी तारीफ करीए छीए.
महाराजश्रीना परिचयथी अमारा कुटुंबने धर्मरुचिमां वृद्धि थई छे–ए वातनो भारे हर्ष छे. आप लोको गामेगाम
जिनमंदिर अने स्वाध्याय मंदिर बनावो एवी भावना छे. ज्यारे मने याद करशो त्यारे अर्धी राते ऊठीने पण
आववा तैयार छुं. आवा धर्मकार्य तो महाभाग्यथी मळे छे. महाराजश्री बधा आत्माने भगवान कहे छे, पोतानी
साची प्रभुतानो ख्याल करावीने जे स्वतंत्र वस्तुस्वरूप छे ते ज प्रकाशित करे छे.