राजकुमारसिंहजी, सुपौत्र राजा बहादुरसिंहजी, पुत्रवधुश्री प्रेमकुमारीजी अने सुपुत्री श्री चंदाबेन–इत्यादि कुटुंबीजनो
अने अन्य सद्गृहस्थो मळी ४प माणसो पधार्या हता. पंडितवर्गमां श्रीमान् पं. श्री देवकीनंदनजी अने पं. श्री
जीवंधरजी पधार्या हता. शेठश्रीए पोतानी आ मुसाफरीने ‘सोनगढ–यात्रा’ नाम आप्युं हतुं.
वच्चे पू. गुरुदेवश्रीनी हाजरीमां तेमणे श्रीकुंदकुंद भगवानना जयकारनाद पूर्वक श्री मंडपना मंगळद्वारोने खूल्लां कर्या
हता.
बहादुरसिंहजी तरफथी रूा. ७००१), सौ दानशीला शेठाणी कंचनबेन तरफथी रू. ७००१) अने सौ. प्रेमकुमारीबेन
तरफथी रूा. ७००१) ए रीते कुल रूा. ३प००प) पांत्रीस हजार पांचनी उदार भेट श्रीजैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टने
अर्पण करी हती.
लाभ लई रह्या छो. आ सच्चा जैनधर्मनी वात केटला मुमुक्षुओ सांभळी रह्या छे! ए जोईने मने हर्ष थाय छे.
अनादि दुःख मटाडवानो अने साचुं आत्मसुख प्रगटाववानो आ ज उपाय छे. हुं मारा हृदयमां एम समजुं छुं के
मारी सब कुछ संपत्ति आ सत्धर्मनी प्रभावनार्थे न्योछावर करी दउं तो पण ओछुं छे, छतां पण माराथी तूच्छ भेट
थई छे ते बदल हुं क्षमा मांगुं छुं. अने आ संस्था द्वारा सत्धर्मनी वृद्धि दिनप्रतिदिन थया करो–एवी भावना छे.
आवेलो एक शुभ संदेश आप्यो हतो के–भावनगरना दिवान साहेब पोते मुंबईथी अहीं पहोंचवा माटे वाहननी
अगवडता वगेरेना कारणे अहीं आवी शक्या नथी, छतां तेओश्रीए संदेशो मोकलाव्यो छे के ‘श्री कानजी स्वामी
महाराज जेवा पवित्र आत्मा अमारा राज्यमां छे, तेमनाथी अमारूं राज्य महान गौरववंत छे.’ श्री प्रमुख साहेबे
सत्धर्म प्रचारनी भावना व्यक्त करतां जणाव्युं हतुं के सत्धर्मनो लाभ लेनारा मुमुक्षुओ दिनप्रतिदिन घणा वधता
जाय छे, आपणे तो एम इच्छीए के लाभ लेनारा मुमुक्षुओ अत्यंत वधे अने आ ‘श्रीमंडप’ पण जल्दी जल्दी टूंको
पडे अने आथी पण विशाळ नवो मंडप बंधाववानी जल्दी जरूर पडे. ए चोक्कस छे के आ ‘मंडप’ पण थोडा ज
वखतमां टूंको पडशे.