आत्मधर्म मासिकना अंक ३७ थी ४८ सुधीमां आवेला लेखोनी कक्कवारी
क्रमांकविषयअंकपृष्ट३८.जीवनी प्रतीत कयारे थई कहेवाय?१०२२२
१.अध्यात्म उपदेश१३३९.जीवननुं कर्तव्य४६२
२.अध्यात्म शास्त्रोनी कथन पद्धतिप८३४०.जैनदर्शननो व्यवहार७१२४
३.अध्यात्मधाम–सोनगढ६१०२४१.जैन धर्म११२३४
४.अध्यात्मनी ज्योति६११२४२.जैन समाजनी वर्तमान परिस्थिति पर एक
अवलोकन११२३४
प.अष्टप्राभृत–प्रवचन१–२–
४–६–
खास११, ३६, ७७,
११२, १९७४३.जैनशासन एटले स्वाश्रय अने वीतरागता११२३९
६.अभिनंदन पत्रप९४४४.जो के व्यवहारनय अभूतार्थ छे... तो पण.८१४७
७.अभिनंदनपत्र का उत्तरप९प४प.ढंढेरोप८२
८.अभव्य (नालायक) जीवनुं चिह्नप१००४६.दशलक्षणपर्व अने श्रीजिनेन्द्र अभिषेकनो महान
उत्सव१२२६९
९.अभूतपूर्व सफळता६१०२४७.द्रव्यद्रष्टि अने पर्यायद्रष्टि तथा तेमनुं प्रयोजन११२३८
१०.अहिंसा अने हिंसा८१प४४८.द्रिव्य ध्वनिदाता श्रीकानजीस्वामी७१४०
११.अज्ञानीओ भले पुकारे३४२४९.दुःखनुं कारण अने ते टाळवानो उपाय४६२
१२.आजीवन ब्रह्मचर्यप, ७,
खास९३, १४४,
१९३,प०.दुःखथी छूटवानी ने सुखी थवानी साची रीत११२३७
१३.आत्मधर्म१२२प४प१.धन्य ते सुप्रभात१
१४.आत्मस्वाधीनतानो महान उत्सव१२२प३प२.धन्य ते धर्मकाल३प९
१प.आत्मानी क्रिया८१४पप३.धर्मात्मा चक्रवर्ती भरतनी मुनि भक्ति.९१७१
१६.आत्मस्वभावखास१९२प४.धर्म करवानी रीत९१७प
१७.आपणा पूज्य गुरुदेव७१४१पप.धार्मिक महोत्सव१०२२८
१८.उत्तमक्षमाधर्म१२२६७प६.नयाभास–मिथ्या नयोनुं स्वरूप४–७६७–
१२७
१९.उपादान निमित्तनो संवाद२, ३, ४,
६, ८२९, प२, ७०,
११७, १प९प७.निवृत्त परायण श्रीवनेचंदभाई शेठप८४
२०.उपादान निमित्तना दोहा९१८०प८.निमित्त८१प१
२१.उपादान निमित्तनी स्वतंत्रता११२४१प९.निश्चय अने व्यवहारनी कथन शैली३४८
२२.”” ”१२२प९६०.नीतिनुं स्वरूप३४७
२३.एवा कुंदकुंद प्रभु अम मंदिरीये२२२६१.नूतन वर्षे मंगळ भावना१२
२४.एकवार तो जीवतां मर!३४३६२.... पण तेथी शुं?१२२पप
२प.एक प्रस्तावखास१८९६३.परमानंद स्तोत्र९१६९
२६.क्रिया२२३६४.पवित्र वचनामृतो१०२३२
२७.कल्याणनी मूर्ति४६१६प.पुण्य बांध्यु८१प०
२८.कुंदकुंद प्रभु केवा हशे२४०६६.पुनित सम्यक्दर्शन१२२प८
२९.कुंदकुंदवाणी९१६७६७.पंचास्तिकाय समाचारप८९
३०.केटलुं जीव्या केवी रीते जीववुं९१६६६८.प्रभु श्रीमहावीर भगवाननो तपकल्याणिक महोत्सव१९
३१.केवुं जीवन गाळवुं११२३३६९.बे मित्रो वच्चे तत्त्वचर्चा१प
३२.कया भावे धर्म थाय अने कया
भावे अधर्म थाय१२२६२७०.भगवान श्रीकुंदकुंद प्रवचन मंडपनुं उद्घाटनप९०
३३.चैतन्य स्वभावनी श्रद्धा९१६प
३४.जगतना सर्व जीवोने शांतरस
सबरसनी प्रप्नि हो.२२२
३प.जीनशासननी प्रभावनाखास१८७
३६.जीवदयानुं स्वरूपखास१८६
३७.जीव अने कर्म एक बीजाने कांई
नुकशान करे नहि१०२१३
ATMADHARM
With the permisson of the Baroda Govt. Order no. 30-24 date 31-10-44 Regd. No. B. 4787