ATMADHARMA With the permission of Baroda Govt. Regd No. B. 4787
order No. 30-24 date 31-10-44
जवाब शोधी काढीने लखी मोकलजो. जवाब तमारी मेळे
लखवानो छे, कोईने पूछीने नहि.
(१) पंच परमेष्ठी भगवाननां नाम शुं छे? अने
तेमांथी केटला देव छे? केटला गुरु छे तथा केटला शास्त्र
छे? ते बतावो.
(२) एवी ऊंचामां ऊंची त्रण वस्तु कई छे के
जेनाथी आपणने जरूर मोक्ष मळे.
(३) नीचेनी वस्तुओमांथी तमने सौथी वधारे शुं
गमे ते बतावो.
सोनानुं समयसार, भगवाननी रतननी मूर्ति,
सम्यग्दर्शन, आखा भरतक्षेत्रनुं राज्य.
नाम अने सरनामा साथे जवाब एक पोस्टकार्डमां
नीचेना सरनामे मोकलवा. चौद वर्ष सुधीना बाळकोए ज
आमां भाग लेवो.
संपादक : आत्मधर्म : बाल विभाग
जैन स्वाध्याय मंदिर : सोनगढ (काठियावाड)
मागशर सुद १५ सुधीमां जेना जवाब पहोंची जशे अने
तेमांथी जे पहेलां आठ आवशे तेने एक पुस्तक भेट
आपवामां आवशे.
बाळकनी भावना
अमे तो जिन शासननां बाळ,
अमारे भणवां जैन–सिद्धांत.... अमे तो०
भणवुं–गणवुं अमने वहालुं,
गुरुजी पर छे वहाल.
वहाल अमारा साधर्मी पर,
वहाली सारी चाल...............अमे तो०
भणी–गणीने मोटा थईशुं,
करीशुं आतम काज.
उपकार ए गुरुजी तणो छे
वंदीए वारमवार.................अमे तो०
बाल–स्वाध्याय
(१)
हुं एक जीव छुं.
आ एक पुस्तक छे.
हुं पुस्तकने जाणुं छुं.
पुस्तक मने जाणतुं नथी.
हुं शरीरने जाणुं छुं
शरीर मने जाणतुं नथी.
(२)
हुं जीव छुं.
मारामां जाणवानो गुण छे.
तेथी हुं बधाने जाणुं छुं.
आ पुस्तक अजीव छे.
तेनामां जाणवानो गुण नथी.
ते कोईने जाणतुं नथी.
(३)
जाणवाना गुणने ज्ञानगुण कहेवामां आवे छे.
जेमां ज्ञान होय ते जीव छे.
जेमां ज्ञान न होय ते अजीव छे.
डबामां गोळ होय तेम जीवमां ज्ञान नथी,
पण गोळमां गळपण होय तेम जीवमां ज्ञान छे.
(४)
मारामां ज्ञान छे;
तेथी हुं जीव छुं.
गोळमां गळपण एकरूप छे तेम मारामां ज्ञान एकरूप छे.
पुस्तकमां ज्ञान नथी;
तेथी ते अजीव छे.
अजीवने जड पण कहे छे.
(५)
ज्ञान ते हुं छुं
पुस्तक ते हुं नथी,
शरीर ते हुं नथी.
पुस्तक अजीव छे तेम शरीर पण अजीव छे.
आ जगतमां बे जातनी वस्तुओ छे. एक जीव अने बीजी
अजीव. जेनामां ज्ञान होय तेने जीव कहेवाय छे. जेनामां
ज्ञान न होय तेने अजीव कहेवाय छे.
(६)
जीवनी पोतानी उंधी समजण ते दुःख छे.
जीवनी पोतानी साची समजण ते सुख छे.
समजण ते ज्ञान छे.
अजीव ने सुख दुःख होय नहीं.
शरीर अजीव छे तेथी तेने सुख दुःख होय नहीं.
(७)
पुस्तक माराथी जुदुं छे.
तेम शरीर माराथी जुदुं छे.
हुं जीव छुं
शरीर जड छे–अजीव छे.
हुं जीव छुं तेथी जाणुं छुं
शरीर अजीव छे–जड छे तेथी जाणतुं नथी.