Atmadharma magazine - Ank 052
(Year 5 - Vir Nirvana Samvat 2474, A.D. 1948)
(Devanagari transliteration).

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ATMADHARMA With the permisson of the Baroda Govt. Regd No. B. 4787
order No. 30-24 date 31-10-44
गतांकना प्रश्नोना जवाब बालविभाग
स्थळ संकोचना कारणे एक पानुं ज अपायुं छे.
जवाब–१. जीव, अजीव, पुण्य, पाप आस्रव, संवर, निर्जरा, बंध अने मोक्ष–आ नव तत्त्वो छे. तेमांथी जीव,
संवर, निर्जरा अने मोक्ष ए चार तत्त्वो मुमुक्षु जीवने गमे छे. (नोंध–आ प्रश्नना जवाबमां घणा बाळकोए पुण्यनुं
नाम पण लख्युं छे, ते तेओनी भूल छे एम समजवुं.)
जवाब–२. ज्ञान, दुःख, राग अने सुख–ए चार वस्तुओ जीवमां होय छे. अने जन्म तथा रोग ए बे वस्तुओ
शरीरमां होय छे. (नोंध– आ प्रश्ननो जवाब लखवामां घणा बाळकोए भूल करी छे. दुःख अने राग पण शरीरमां
होय छे एम तेओए लख्युं छे, ते तेओनी भूल छे एम समजवुं. शरीर तो जड छे, जडमां दुःख के राग थता नथी.
दुःख ने राग तो जीवमां ज थाय छे, ते जीवनी ज विकारी दशा छे.)
जवाब–३. (१) एक माणसना आत्मामां घणुं ज्ञान हतुं.
(२) जीवनुं लक्षण ज्ञान छे.
(३) पुस्तकमांथी ज्ञान आवतुं नथी पण आत्मामांथी आवे छे. पुस्तक तो अजीव छे.
(४) दुःख पण आत्माने थाय छे ने सुख पण आत्माने थाय छे. शरीरने सुख के दुःख होतां नथी, केम के
ते जड छे.
(नोंध:– आ प्रश्नना त्रीजा अने चोथा बोलना जवाबमां घणा बाळकोए भूल करी छे. तेओए पोतानी
भूल समजी लेवी.)
आ वखते कुल १३९ बाळकोनां जवाब आव्यां हता, तेमांथी नीचे लखेला ६२ बाळकोनां जवाब साचा हता–
(१) नंदुबेन–वासण चौधरी. (२) किशोरकान्त–कलकत्ता, (३) किशोरचंद्र–ओरिसा. (४) दलीचंद–शांताक्रूझ.
(५) जगदीशचंद्र–मुंबई (६) हंसिका–पुना. (७) हसुमती–अमदावाद. (८) अरूण–बोरसद. (९) ईन्दुमती–
बरवाळा. (१०) शीरीनबाळा–खोडालीमडा. (११) रमणलाल–हींमतनगर. (१२) अनिल–लींबडी. (१३)
अनंतराय–जोरावरनगर. (१४) कान्तिलाल राणपुर. (६२) मनहरलाल–राजकोट (१५–१७) जामनगर–
हसमुखलाल, ललिताबेन, कंचनबेन. (१८–२०) सावरकुंडला–वसंतराय, राजेन्द्र, गुणवंती. (२१–२२) अमरेली–
विनोदराय, ज्योतिबाळा. (२३–२४) तलोद–बाबुलाल, मनुभाई. (२५–२६) धुलीआ–चंपकलाल, मनहरलाल.
(२७–३२) मोरबी–इंदुलाल, नवीनचंद्र, गजसुकुमार, हसमुख, भूपत, वसंतबेन (३३–३६) वढवाण–शहेर–
मंजुलाबेन, रसिकलाल, विनयचंद्र, वसंतलाल. (३७–३९) लाठी–रसिकलाल, धीरजलाल, कान्तिलाल. (४०–५३)
वींछीया–इंदुमती, रसिकलाल–अ, लीलाधर, कान्तिलाल, नवीनचंद्र, महेन्द्र, रसिकलाल–म, भूपेन्द्र, मंजुलाबेन,
न्यालचंद, दलसुख, स्नेहलता, रसिकलाल, पानाचंद. (५४–६०) सोनगढ–किशोर, श्रीकान्त, धरणिधर, ज्योतीन्द्र,
वसंतलाल अनिलकुमार, जसुमतीबेन. (६१) ईन्दिराबेन–मुंबई.
नापास थयेला बाळकोने भलामण
बाळको, आ अंकमां छापेला साचा जवाबो वांचीने, तमारा जवाबमां क्यां भूल हती ते बराबर समजी लेजो.
हवेथी जवाब लखतां पहेलांं आखो बाल–विभाग वांची जजो, ने विचारीने जवाब लखजो. पण तमारो उत्साह छोडी
देशो नहि. नवा प्रश्नो
(प्रश्न–१) अत्यारे जीव अने शरीर एक छे के जुदां? जो जुदां होय तो कई रीते? ते टूंकामां समजावो.
(प्रश्न–२) नीचेनी वस्तुमांथी जीवमां शुं होय ने अजीवमां शुं होय–ते जुदां पाडो–वस्तुत्वगुण, प्रकाश, आनंद,
राग अने गळपण.
(प्रश्न–३) नीचेनां वाक्यो पूरां करो–
() साचा ज्ञान वगर.... थतो नथी. () साचा ज्ञान वगर..... थाय छे.
() पुण्य करवाथी साचुं सुख.... ..... () आत्माना स्वभावमां सुख.... ....
बधा प्रश्नोनो जवाब शोधी काढीने लखी मोकलजो, ने तमारा बालमित्रोने पण लखवानुं कहेजो. मात्र जवाबो ज
लखवा. चौद वर्ष सुधीना बाळकोए आमां भाग लेवो. नाम अने सरनामा साथे जवाब एक पोस्टकार्डमां नीचेना
सरनामे मोकलवा– [“आत्मधर्म बालविभाग,” सोनगढ–काठियावाड] माह सुद १५ सुधीमां जवाब मळी जवा जोईए.
मुद्रक: चुनीलाल माणेकचंद रवाणी, शिष्ट साहित्य मुद्रणालय, मोटा आंकडिया ता. ७–२–४८
प्रकाशक: श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट सोनगढ वती जमनादास माणेकचंद रवाणी, मोटा आंकडिया–काठियावाड