Atmadharma magazine - Ank 053
(Year 5 - Vir Nirvana Samvat 2474, A.D. 1948)
(Devanagari transliteration).

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ATMADHARMA With the permison of the Baroda Govt. Regd. No. B. 4787
order No. 30 - 24 date 31 - 10 - 4
२१. श्रीसीताजीनी अग्नि–परीक्षा पछी तेमने श्रीरामचंद्रजी
घरे पधारवानुं कहे छे, पण सीताजी तेनो अस्वीकार करीने
अर्जिका बने छे.
२२. पूर्वभवे जे श्रीकंठराजानो भाई हतो ते ईन्द्र, देवोसहित
अष्टाह्निकाना दिवसोमां नंदीश्वरद्वीपे (श्रीकंठ–राजाना महेल
उपर थईने) जाय छे, तेने देखी श्रीकंठराजा पण भक्तिने वश
थई राणी सहित विमानमां बेसीने नंदीश्वरद्वीप तरफ जाय छे.
पण मानुषोत्तरद्वीप पासे आवतां ज राजानुं विमान अटकी
जाय छे तेथी ते वैराग्य पामीने त्यां ज मुनि थई जाय छे.
२३. दुष्ट बलिराजा अकंपनाचार्य आदि ७०० मुनिओने
अग्निनो उपसर्ग करे छे. श्रीविष्णुकुमार मुनि
वैक्रियऋद्धिथी, ब्राह्मणनुं रूप धारण करीने ते उपसर्गने
शांत करे छे, अने तेमनी पासे बलिराजा क्षमा मांगे छे.
२४. राम–लक्ष्मण–सीता वनमां सुगुप्ति–गुप्ति नामना
चारण मुनिओने आहारदान दे छे.
२५. वेद धर्मनी चर्चा करता ईन्द्रभूतिने तेडीने ब्राह्मण–
रूपधारी ईन्द्र महावीर प्रभुना समवसरण तरफ जाय छे.
मानस्थंभने देखतां ज ईन्द्रभूतिनुं मान गळी जाय छे, ने
समवसरणनी अंदर जतां ते ज गौतम–गणधर बने छे.
२६. शीकुं कापीने मेळवेली विद्याद्वारा अंजनचोर अकृत्रिम
चैत्यालये जाय छे, त्यां जिनदत्त शेठ पण पूजा करे छे. पछी
तेओ बंने मुनि पासे जईने उपदेश श्रवण करे छे. अने
अंजन मुनि थई, ध्यान धरीने केवळज्ञान पामे छे.
२७. श्रीमद् राजचंद्र (श्री सिद्धशिला, ईडर–नुं द्रश्य)
२८. सुभद्रा शेठाणीए चंदनासतीने सांकळवडे बांधी छे; ते
महावीर भगवानने आहारदान करवानी भावना भावे
छे, भावना भावतां भावतां तेनां बंधन तूटी पडे छे.
अने चंदनासती भगवानने पडगाहन करीने
नवधाभक्तिथी आहारदान दे छे, देवो पुष्पवृष्टि करे छे;
पछी चंदना अर्जिका बने छे.
२९. पांच पांडवो मुनिदशामां शत्रुंजय पर्वत उपर
ध्यानमग्न दशामां स्थित छे. त्यां दुर्योधननो भाणेज
क्रोधाविष्ठ थईने तेमने लोखंडना धगधगता आभूषणो
(कडां) पहेरावीने उपसर्ग करे छे.
आ उपरांत श्रीमंडपना मूळ प्रवेशद्वार उपर श्री
कुंदकुंदप्रभुजीनी एक सुंदर कलामय, ध्यानस्थ, शांत मूर्ति
कोतरेली छे, तेनुं द्रश्य बहु भव्य ने आकर्षक छे.
गया अंकमां पूछेला प्रश्नोना जवाब
जवाब १. अत्यारे पण जीव अने शरीर जुदा ज छे.
जीवमां ज्ञान छे, शरीरमां ज्ञान नथी. जीव जाणे छे, शरीर
जाणतुं नथी. जीव अरूपी छे, शरीर रूपी छे. साचाज्ञानवडे
अत्यारे पण जीव अने शरीरनुं जुदापणुं जाणी शकाय छे.
जवाब २. आनंद अने राग जीवमां होय छे; प्रकाश अने
गळपण अजीवमां होय छे. वस्तुत्वगुण जीव अने अजीव
बंनेमां होय छे. प्रकाश तो अजीव वस्तु छे, पुद्गलनी दशा
छे, जीवमां प्रकाश होतो नथी.
जवाब ३. () साचा ज्ञान वगर ‘धर्म’ थतो नथी.
() साचा ज्ञान वगर ‘अधर्म’ थाय छे. () पुण्य
करवाथी साचुं सुख ‘मळतुं नथी.’ () आत्माना
स्वभावमां सुख ‘छे.’
आ वखते कुल ९३ बाळकोनां जवाब आव्या हता. तेमांथी
नीचेना ५९ बाळकोना जवाब साचा हता–
(१–१४) वींछीया, मधुकान्ताबेन, मंजुलाबेन,
दलसुखराय, मंछाबेन, कान्तिलाल, ईन्दुमतीबेन,
उत्तमलाल रसिकलाल–ह, न्यालचंद, चंपकलाल, रसिकलाल–
अ, चंद्रकान्त, रमालक्ष्मीबेन, भुपेन्द्र. (१५–२०) अमरेली:
जयंतिलाल, ज्योत्सनाबेन, विनोदराय, प्रफुलचंद्र, कैलास,
सुशीलाबेन. (२१–२६) वढवाणशहेर: मंजुलाबेन,
रसिकलाल, विनोदचंद्र, नगीनदास, विनयचंद्र,
भानुमतीबेन(२७–२९) सावरकुंडला: वसंतराय,
कुसुमबेन, राजेन्द्र. (३०–३१) लाठी: धीरजलाल,
कान्तिलाल, (३२–३३) वढवाणकेम्प: कंचनबेन,
मनहरलाल, (३४–३५) जामनगरःहसमुखलाल,
मंजुलाबेन. (३६–४१) मुंबई: भुपतराय, कीर्तिकुमार
धीमंतकुमार सरोजबाळा, जगदिशचंद्र, ईन्दीराबेन. (४२–
४४) अमदावाद: अजबलाल, किरीटकुमार, हरिहरभाई.
(४४) वीरबाळा–बोरसद. (४५) हिंमतलाल–पालेज.
(४६) इंदुलाल–मोरबी. (४७) नंदुबेन–वासणाचौधरी.
(४८) मनहरलाल–धूलीआ. (४९) अरूणकुमार–राजकोट.
(५०–५५) सोनगढ: दिनेशचंद्र, सुशीलाबेन, श्रीकान्त,
सुधाबेन मंजुलाबेन, अनिलचंद्र. (५६) कान्तिलाल–
राणपुर. (५७) सूर्यकान्त–मद्रास. (५८) केलासचंद्र–दाहोद
(५९) दलीचंद–शान्ताक्रूझ.
– नवा प्रश्नो –
(१) अजीव वस्तुओमां गुण होय के नहि?
(२) जीव क्यां वसे छे? अने ज्ञान क्यां वसे छे?
(३) नीचेनी वस्तुओमांथी जीवमां शुं होय ने अजीवमां शुं
होय ते बतावो:–सामायिक, रबरनो उंदर, खोटुं ज्ञान,
शास्त्रनुं ज्ञान, संसार, मोक्ष, पुण्य अने पाप.
मुद्रक: चुनीलाल माणेकचंद रवाणी, शिष्ट साहित्य मुद्रणालय, मोटा आंकडिया, सौराष्ट्र ता. ६ – ३ – ४८
प्रकाशक: श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट सोनगढ वती जमनादास माणेकचंद रवाणी, मोटा आंकडिया,काठियावाड
चौद वर्ष सुधीना बाळकोए, नाम अने सरनामा साथे, फागण सुद १५ सुधीमां मळी जाय ए रीते, नीचेना सरनामे
उपरना प्रश्नोना जवाब मोकलवा –
आत्मधर्म: बालविभाग: सोनगढ: काठियावाड