Atmadharma magazine - Ank 053
(Year 5 - Vir Nirvana Samvat 2474, A.D. 1948)
(Devanagari transliteration).

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। धर्मनुं मूळ सम्यग्दर्शन छे ।
वर्ष पांचमुं : संपादक : फागण
रामजी माणेकचंद दोशी
अंक पांचमो वकील २४७४
श्री सीमंधर प्रभुजीनां भाव भर्यां सन्मान
(राग – सारंग, देशी – माता मरू देवीनानंद)
तमे तो भले बिराजोजी.... तमे तो भले बिराजोजी
सुवर्णपुरमां सीमंधर जिनजी भले बिराजोजी. (टेक)
मंगल आगर करुणा सागर, सागर जेम गंभीर;
जगतना आधार दीनदयाळु, उतारो भवजल तीर... तमे० १
नाथ निरंजन भवभयभंजन, शरणागत आधार;
तरण तारण बिरूद धरावो, वंदुं हुं वारंवार. तमे० २
निरविकारी शांत मनोहर, मुद्रा निरखी आज;
एहवी अन्य देवनी जगमां, दीठी नहि जिनराज... तमे० ३
पुष्कला वती विजय वसीया, पिताश्री श्रेयांस पूज्य;
आनंद दायक सत्य माताना, समरूं अहोनिश तुज... तमे० ४
पुरण शशी सम मुख मनोहर, निरखी हर्ष अपार;
केवलज्ञान अनंत गुणाकार, प्रगट्या पूर्णानंद... तमे० ५
संवत ओगणीश सत्ताणुं साले फागण शुदि बीज;
सीमंधर जिनना दरिशन करीने, सेवक थाये लीन... तमे० ६
(श्र स् . )
महत्सव
फागण सुद–१: भगवानश्री कुंदकुंद–प्रवचन
मंडपना उद्घाटननो बीजो वार्षिक महोत्सव फागण
सुद १ ने गुरुवारे छे.
फागण सुद–२: महाविदेह क्षेत्रमां बिराजमान
त्रिलोक पूज्य श्रीसीमंधरप्रभु आदि जिनेन्द्रदेवोनी
वीतरागी प्रतिमानी सोनगढना श्रीजिनमंदिरमां
प्रतिष्ठा थई, तेनो आठमो वार्षिक महोत्सव फागण
सुद २ ने शुक्रवारे छे.
फागण सुद–७ थी १प: अष्टाह्निका पर्व: श्री
नंदीश्वर द्विपे शाश्वत जिनबिंबो रत्नमय छे.
अष्टाह्निका पर्वमां देवो त्यां जईने भक्तिनो मोटो
उत्सव करे छे. फा. सु. ७ बुधवारथी फा. सु. १५
बुधवार सुधी आ पर्व छे. आ पर्व शाश्वत छे.
फागण वद–१: श्री जैन स्वाध्याय मंदिरमां ‘“’
नी दसमी वर्षगांठ फा. व. १ ने गुरुवारे छे.
फागण वद–९: आदिजिनेश श्रीऋषभदेव
भगवाननो जन्मकल्याणक अने तपकल्याणक
उत्सव फा. व. ९ ने शुक्रवारे छे.
उपरना उत्सवदिनो दरेक साल मुजब ऊजवाशे.
आत्मधर्म कार्यालय – मोटा आंकडिया – काठियावाड