Atmadharma magazine - Ank 054
(Year 5 - Vir Nirvana Samvat 2474, A.D. 1948)
(Devanagari transliteration).

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ATMADHARMA With the permisdon of the Baroda Govt. Regd No. B. 4787
order No. 30/24 date 31 - 10 - 4
वस्तत्वगणन समजण
५१ मा अंकमां ‘रमणना दादा’ नी वार्ता
लखीने अस्तित्वगुणनी समजण आपी हती. आ
वखते वस्तुत्वगुणनी समजण आपवानी छे. आ
गुणो खास समजवाना छे.
जेम अस्तित्वगुण बधां द्रव्योमां छे, तेम आ
वस्तुत्वगुण पण बधां द्रव्योमां छे. जीवमां पण छे, ने
अजीवमां पण छे.
वस्तुत्व एटले वस्तुपणुं. जीवनुं वस्तुपणुं शुं?
जीवमां ज्ञान वगेरे गुणो वसे छे ते जीवनुं वस्तुपणुं छे.
अने अजीवमां (–पुद्गलमां) रंग, रस वगेरे गुणो वसे
छे ते अजीवनुं वस्तुत्व छे. दरेक द्रव्यमां पोताना गुण–
पर्यायो वसेलां छे. ए ज तेनुं वस्तुत्व छे.
द्रव्य पोताना गुण–पर्यायमां रहे छे. ने गुण–
पर्याय पोताना द्रव्यमां रहे छे–आन प्रयोजनभूत अर्थ
क्रिया पण कहेवाय छे, अने आ ज वस्तुत्वगुणनुं कार्य छे.
आ वस्तुत्वगुणथी एम समजाय छे के जीव
शरीरमां वसतो नथी पण पोताना ज्ञानादिअनंत
ज्ञान गुण पुस्तकमां वसतो नथी पण जीवमां
ज वसे छे.
× × ×
वस्तुत्वगुण संबंधी संवाद
[] श्रीकान्त : जीव शरीरमां वसे छे?
ज्ञानचंद्र : ना, जीव शरीरमां वसतो नथी.
श्रीकान्त : तो जीव क्यां वसे छे?
ज्ञानचंद्र : जीव तो पोताना ज्ञानादि अनंत
गुणोमां वसे छे.
श्रीकान्त : जीव शरीरमां केम नथी वसतो?
ज्ञानचंद्र : केम के जीवमां ‘वस्तुत्व’ नामनो
गुण छे, तेथी ते पोताना गुणोमां ज वसे छे, पण
बीजामां वसतो नथी.
वसवुं एटले रहेवुं; वसे छे एटले रहे छे)
× × ×
[] श्रीकान्त : शरीरमां रंग वसे छे?
ज्ञानचंद्र : हा; शरीरमां रंग वसे छे, केमके
शरीर पुद्गल छे.
श्रीकान्त : शरीरमां ज्ञान वसे छे?
ज्ञानचंद्र : ना; शरीरमां ज्ञान वसतुं नथी.
श्रीकान्त : शरीरमां ज्ञान केम वसतुं नथी?
ज्ञानचंद्र : केम के ज्ञानगुण शरीरनो नथी पण
जीवनो छे, तेथी ते जीवमां ज वसे छे. दरेक वस्तुमां
‘वस्तुत्व’गुण छे तेथी जे वस्तुना जे गुणो होय ते
वस्तुमां ज ते गुणो वसे छे. वस्तुना गुणो वस्तुनी
बहार वसता नथी.
आ प्रमाणे वस्तुत्वगुणने ओळखीने पोताना
आत्मानी समजण करवी; वस्तुत्वगुण एम बतावे छे
के पोतानी मूडी पोतामां ज वसे छे.
फागण मासना प्रश्नोना जवाब
जवाब (१) अजीव वस्तुओमां पण गुणो
होय छे. जीव वस्तुमां जीवना गुणो होय छे ने अजीव
वस्तुओमां अजीवना गुणो होय छे.
जवाब (२) जीव पोताना ज्ञान वगेरे
गुणोमां वसे छे. ज्ञान जीवमां वसे छे. ज्ञानगुण
आत्मानो ज छे. जे आत्मानो गुण होय ते आत्मामां
रहे छे.
जवाब (३) सामायिक जीवमां होय छे, केमके
ते जीवनी शुद्ध दशा छे. रबरनो उंदर अजीव छे, केम
के रबर अजीव पदार्थ छे. खोटुं ज्ञान जीवमां होय छे
अने शास्त्रनुं ज्ञान पण जीवमां होय छे, अजीवमां
ज्ञान होतुं नथी. संसार, मोक्ष, पुण्य अने पाप ए
चारे वस्तुओ जीवमां होय छे.
आ वखते कुल ७६ बाळकोना जवाब आव्या
हता, तेमांथी ४० बाळकोना जवाब साचा हता.
नवा प्रश्नो
(१) आत्मदेव केवा छे ते टुंकामां ओळखावो.
(२) अस्तित्वगुण एटले शुं? ते गुण जीवमां
होय के अजीवमां?
(३) नीचे लखेला गुणोमांथी कया कया गुणो
तमारामां छे? अने कया कया गुणो अजीवमां छे ते
बतावो–अस्तित्व, ज्ञान, रंग, सुख, वस्तुत्व.
(वधारानो प्रश्न)
श्री महावीर भगवान पछी थयेला एक महान
धर्मात्मानुं नाम शोधी काढो के जेनो पहेलो अने त्रीजो
अक्षर सरखो होय, तथा बीजो अने चोथो अक्षर पण
सरखो होय, अने जे मोक्षमां जवाना होय.
(आ वधाराना प्रश्ननो संबंध ईनाम साथे नथी.)
मुद्रक : जमनादास माणेकचंद रवाणी, अनेकान्त मुद्रणालय, मोटा आंकडिया, सौराष्ट्र ता. १० – ४ – ४८
प्रकाशक : श्री जैन स्वाध्याय मन्दिर ट्रस्ट सोनगढ वती जमनादास माणेकचंद रवाणी, मोटा आंकडिया, काठियावाड