पर्यायमां जेटला शुभाशुभ भाव थाय ते बधा उपद्रव
छे. स्वभाव तो त्रिकाळ अबंध ज छे. स्वभाव कदी
बंधाय नहि. आत्मा तो आनंदकंद कल्याण स्वरूप छे
तेथी तेमां एकाग्रता छोडीने बहार क्यांय न जा. हे
तपोधन! आत्मामां जेटला दया, दान, भक्ति, पूजा के
हिंसा, चोरी, जुठ आदिना भाव थाय तेने तुं दुःख देख.
जे प्राणी ज्ञानानंद चैतन्यमां लीन थता नथी ते मोटा
राजा के देव होय तो पण दुःखी छे. जेओ विषयोमां सुख
माने छे तेओ तो अग्निना हिंडोळे हींचके छे, तेमने
आत्मानी शांति नथी. शुं दुःखनुं लक्षण बहारमां राडो
पाडे ते हशे? दुःखनुं लक्षण पोताने भूलीने परमां
भटकवुं ते छे. मोटा देवो अने राजाओने पण
आत्मभान विना प्रत्यक्ष दुःखी जाण.