आसो : २४७४ : २१९:
सुवर्णपुरीना समाचार
श्रावण वद १३ थी भादरवा सुद प सुधीना दिवसोमां ऊजवायेला धार्मिक उत्सवना कार्यक्रमनी टूंक
माहिती अत्रे जणाववामां आवे छे.
उत्सवना आठे दिवसो दरमियान सामान्यपणे नीचे मुजब कार्यक्रम हतो:–
सवारे पााा –६ श्री सद्गुरुवंदन
६ाा –७ाा श्रीजिनमंदिरमां दर्शन–पूजनादि
८–९ पू. गुरुदेवश्रीनुं व्याख्यान (श्रीसमयसारजी गाथा ३९० थी ४०४ उपर)
बपोरे १ाा –२ाा समयसार तथा प्रवचनसारना हरिगीतनी स्वाध्याय (श्रावण वद ०)) थी
भादरवा सुद ४ सुधीना पांच दिवस).
३–४ श्री पद्मनंदि पचीसीमांथी देशव्रत उद्योतन अधिकार उपर पू. गुरुदेवश्रीनुं व्याख्यान
४–५ श्री जिनेन्द्र देवनी भक्ति. ६ाा–७ आरति
७–८ प्रतिक्रमण ८–९ रात्रिचर्चा (श्रावण वद ०)) ने
दिवसे रात्रिचर्चाने बदले आत्मसिद्धिनी स्वाध्याय.)
ए सिवाय नीचेना खास प्रसंगो बन्या हता:–
(१) भादरवा सुद २: रिवार : – परमागम श्री प्रवचनसारजीशास्त्रनुं गुजराती भाषामां प्रकाशन थयुं हतुं.
अने श्री जिनेन्द्रदेव तथा प्रवचनसारजीनी रथयात्रा नीकळी हती.
(२) बहेनोने वांचन–तत्त्वचर्चा–प्रतिक्रमणादि करवा माटे कोई स्वतंत्र जग्या नहि होवाने लीधे घणा
वखतथी उत्सव दरमियान घणी मुश्केली पडती हती. आ मुश्केली वहेली तके दूर करवा माटे, बहेनो माटे एक
स्वतंत्र मकान कराववा चूडाना भाईश्री गोकळदास शीवलालना धर्मपत्नी श्री लेरी बहेने रूपिया ५००१/–
पोताना तरफथी आपवानुं जाहेर कर्युं हतुं. ए रीते बहेनोना स्वतंत्र मकान माटेना फंडनी शरूआत थई हती.
अने त्यारपछी अन्य मुमुक्षुओए पण तेमां रकमो भरी हती. (अत्रे ए याद आपवुं जरूरी छे के बे वर्ष पहेलांं
पोरबंदरना शेठश्री नेमिदास खुशालभाईए मुमुक्षु बहेनोने माटे मकान बंधाववा रूपिया ५००२/–श्री जैन
स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टने अर्पण कर्या हता; ते रकमनो उपयोग सदरहु मकान माटे करवामां आवशे.)
(३) बपोरे दान अधिकारनुं व्याख्यान पछी–शेठश्री नेमिदास खुशालचंदभाईए, पोताना आंगणे पू.
गुरुदेव श्री वगेरेना आहारदाननो लाभ मळ्यो तेना उल्लासथी, तेम ज गुजराती–प्रवचनसारनुं अपूर्व
प्रकाशन आजे थयुं तेनी खुशालीमां रूपिया ५००२/–श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टना प्रमुखश्रीने योग्य लागे
तेम वापरवा अर्पण कर्या हता. तेमां रूपिया २५०१/–पोताना नामथी अने रूपिया २५०१/–पोताना
धर्मपत्नीना नामथी आप्या हता.
(४) मुंबईमां श्री दि. जैन स्वाध्याय मंदिर वगेरे माटे जे फंड थाय छे तेमां पण केटलीक नवी रकमो
भराणी हती. आ फंड लगभग एक लाख रूपिया सुधी पहोंची गयुं छे.
(५) राजकोटना जिनमंदिर माटेना फंडमां पण केटलीक रकमो भराई हती.
(६) आ उपरांत, आ वर्षे वरसादनी खेंचने कारणे ढोरोने घासचारानी घणी मुश्केली होवाथी, ढोरोना
घासचारा माटेनुं एक फंड थयुं हतुं.
भादरवा सुद प बुधवार
(७) सवारना व्याख्यान पछी श्री श्रुतज्ञाननुं पूजन थयुं हतुं.
(८) बपोरे बाळकोनो संवाद थयो हतो. संवादमां उपादान–निमित्त तेमज गृहीतमिथ्यात्व वगेरे
बाबतो गोठववामां आवी हती.
(९) बपोरना व्याख्यानमां श्री पद्मनंदिआचार्यकृत आलोचना वांचवामां आवी हती. आलोचना बाद
परम पू. गुरुदेवश्रीनी स्तुति करवामां आवी हती. त्यारबाद सर्वे मुमुक्षुओनी वती श्रीमान् प्रेमचंदभाईए
पूज्य गुरुदेवश्रीना अपूर्व–अपूर्व उपकारोने तेमज पवित्र धर्मात्माओना परम उपकारोने अत्यंत भक्तिभावे
व्यक्त कर्या हता; तेमज माननीय प्रमुखश्रीनो अने विद्वान् भाईश्री हिंमतलालभाई वगेरेनो आभार व्यक्त
कर्यो हतो. सांजे लगभग ५ाा थी ८ सुधी संवत्सरि–प्रतिक्रमण थयुं हतुं.