जीव पर साथे एकताबुद्धि छोडीने पोताना परिपूर्ण स्वभाव
तरफ वळे नहि, ने तेने धर्म थाय नहि. माटे आचार्यदेव कहे
छे के तारो आत्मा ज्ञानथी परिपूर्ण छे, श्रुतना आधारे तारुं
ज्ञान नथी; माटे श्रुतनो आश्रय छोडीने तारा परिपूर्ण
ज्ञानस्वभावनो आश्रय कर, तेना ज आश्रये धर्म प्रगटे छे
ने मुक्ति थाय छे.