स्वभावनी ओळखाण करीने तेनो आश्रय कर्यो नथी अने
परनो ज आश्रय कर्यो छे, तेथी परना आश्रये तेने कदी
शांति मळी नथी. आत्मानुं सुख परमां नथी, तो परनो
आश्रय करवाथी आत्माने सुख क्यांथी थाय? जीवनो
पोतानो स्वभाव ज्ञान–आनंदथी भरपूर छे, तेनो विश्वास
करीने तेनो आश्रय करे तो अपूर्व शांति–सुख थाय. जेम
लाकडुं समुद्रना पाणीमां तरे छे तेम आत्मानी वर्तमान
अवस्था त्रिकाळी चैतन्य–दरियामां पडतां (अर्थात्–
त्रिकाळी चैतन्यनो आश्रय करतां) तरे छे, एटले के मुक्ति
पामे छे.