ATMADHARMA With The permission of the Baroda Govt. Regd No. B, 4787
order No. 30-24 date 31-10-44
राजकोटमां अपूवर् धमर्प्रभावना : – परम पूज्य सद्गुरुदेवश्री चैत्र सुद एकमना दिवसे राजकोटमां पधार्या
हता. ए प्रसंगे राजकोटना मुमुक्षु संघे घणा उल्लासपूर्वक भव्य स्वागत कर्युं हतुं. राजकोटमां पू. गुरुदेवश्री शेठश्री
नानालालभाईना मकान आनंदकुंजमां वैशाख सुद ८ सुधी बिराज्या हता. ए दिवसो दरमियान राजकोटनी
विशाळ जनताए पू. श्रीना व्याख्यानोनो घणो लाभ लीधो हतो. हजारो श्रोता–जनोनी मेदनीमां वकीलो–
डोक्टरो–ओफिसरो वगेरे शिक्षितवर्गनो मोटो समुदाय हतो. राजकोटमां केटलाक व्याख्यानोनुं रेकोर्डींग थयुं हतुं.
पू. गुरुदेवश्रीनी राजकोटमां स्थिति दरमियान चैत्र सुद १३ ना दिवसे भगवानश्री महावीर प्रभुनो
जन्म कल्याणक दिवस उजवायो हतो. अने वैशाख सुद १–२–३ ना दिवसोए पूज्य गुरुदेवश्रीनी ६० मी
जन्मजयंतीनो उत्सव उजवायो हतो. राजकोटमां भव्य दि० जिनमंदिर तैयार थाय छे. वैशाख सुद ९ ना दिवसे
राजकोटथी विहार करीने पूज्यश्री लाठी तरफ पधार्या छे.
लाठीमां मंगळ महोत्सव : – वैशाख वद ६ ना दिवसे पूज्य गुरुदेवश्री लाठी शहेरमां पधार्या. ते वखते
लाठीना मुमुक्षु संघे उत्साह पूर्वक गुरुदेवश्रीनुं भव्य स्वागत कर्युं हतुं. तथा वैशाख वद ६ ने दिवसे समवसरण
प्रतिष्ठानो अने ८ ने दिवसे श्री समयसार–प्रतिष्ठानो उत्सव उजवायो हतो. अहीं जेठ सुद प ने बुधवारे
भगवानश्री सीमंधरप्रभु वगेरेनी प्रतिष्ठानुं मंगळ मुहूर्त छे. ते प्रसंगनी विधिनी भव्य शरूआत वैशाख वद
१३ थी थई गई छे. प्रतिष्ठा महोत्सव संबंधी समाचार आगामी अंके आपवामां आवशे.
अम घेर प्रभु पधायार् : – फागण वद १० ना पवित्र दिवसे बोटादशहेरमां श्रीसीमंधरभगवान अने
श्रीशांतिनाथ भगवानना वीतरागी प्रतिमाजी (–जेमनी प्रतिष्ठा वींछियामां फागण सुद ७ ना दिवसे पू.
गुरुदेवश्री कानजीस्वामीना शुभ हस्ते थई हती ते) पधार्या छे. प्रभुजी पधार्या ते प्रसंगे त्यांना मुमुक्षु संघे घणा
ज उल्लासपूर्वक प्रभुजीना स्वागत सन्माननो उत्सव ऊजव्यो हतो. प्रभुश्रीना भव्यस्वागतमां गामना लोकोए
उत्साहथी भाग लीधो हतो. बोटादना आंगणे प्रभुश्री पधार्या ए त्यांना मुमुक्षुओना धनभाग्य छे.
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टनां प्रकाशनो
श्री समयसार–प्रवचनो भाग १–३–४ दरेकना ३–०–०
श्री समयसार–प्रवचनो भाग–२ जो १–८–०
श्री अपूर्वअवसर–प्रवचनो ०–८–०
श्री आत्मसिद्धि–प्रवचनो [आवृत्ति त्रीजी] ३–८–०
श्री मोक्षमार्ग प्रकाशकनां किरणो ०–१२–०
श्री धर्मनी क्रिया १–८–०
श्री मूळमां भूल १–०–०
श्री जिनेन्द्र स्तवनमंजरी २–०–०
श्री जिनेन्द्र स्तवनावली ०–८–०
श्री सर्वसामान्य प्रतिक्रमण (आवृत्ति त्रीजी) ०–८–०
श्री नियमसार–प्रवचनो भाग–१ १–८–०
श्री समवसरण स्तुति (आवृत्ति त्रीजी) ०–४–०
श्री मोक्षशास्त्र (गुजराती टीका) छपाय छे
श्री पूजा संग्रह (आवृत्ति चोथी) ०–१०–०
श्री प्रवचनसार (गुजराती) २–८–०
श्री समयसार पद्यानुवाद ०–४–०
श्री प्रवचनसार पद्यानुवाद ०–५–०
श्री योगसार पद्यानुवाद ०–२–०
श्री योगसार पद्यानुवाद तथा उपादान निमित्त दोहा ०–३–०
श्री मुक्तिनो मार्ग ०–९–०
श्री सत्तास्वरूप अने अनुभवप्रकाश १–०–०
श्री मोक्षमार्ग प्रकाशक ३–०–०
श्री जैनसिद्धांतप्रवेशिका ०–८–०
श्री छह ढाळा (गुजराती) ०–१४–०
श्री द्रव्य संग्रह (गुजराती) ०–७–०
श्री सम्यग्ज्ञान दीपिका (गुजराती) १–०–०
श्री आत्मसिद्धि सार्थ ०–४–०
श्री आत्मसिद्धि गाथा ०–२–०
श्री आलोचना ०–२–०
श्री पुरुषार्थ ०–४–०
श्री दश लक्षण धर्म ०–९–०
श्री पंचाध्यायी भाग–१ ३–८–०
दरेकनुं टपालखर्च जुदुं
–: प्राप्ति स्थान:–
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट
सोनगढ: सौराष्ट्र