। धर्मनुं मूळ सम्यग्दर्शन छे ।
पोष संपादक वर्ष सातमुं
रामजी माणेकचंद दोशी
२४७६ वकील अंक त्रीजो
आ दुर्लभ मनुष्यभवमां पण जीव जो पोताना
स्वभावने जाणीने तेनो आदर नहि करे तो
पछी फरीथी क्यारे एवो अवसर मळ–
वानो छे? पोतानो जेवो पूरो
स्वभाव छे तेवो ओळखीने
तेनो ज आदर करवो–
श्रद्धा करवी ते ज
आ मनुष्यपणामां
जीवनुं
कर्तव्य
छे.
– नियमसार उपरना प्रवचनोमांथी–
छुटक नकल वार्षिक लवाजम
चार आना त्रण रूपिया
अनेकान्त मुद्रणालय : मोटाआंकडिया : काठियावाड