ATMADHARMA Regd. No. B. 4787
समयसार – प्रवचनो
भगवानश्री कुंदकुंदाचार्यदेवे रचेला महान परमागम श्री समयसार उपर
पूज्य सद्गुरुदेव श्री कानजी स्वामीए आठ वखत विस्तृत प्रवचनो कर्या छे. तेमां
छठ्ठी वखतना प्रवचनो लखाई गयां छे अने ते छपाईने बहार पडतां जाय छे.
तेमांथी १४४ गाथा सुधीनां प्रवचनो चार भागमां छपाईने प्रसिद्ध थई गयां छे.
आ प्रवचनो दरेक आत्मार्थि जीवोए खास मंथन करवा योग्य छे. अनादिथी मार्ग
भूलीने बाह्यमां भटकता जीवोने आ प्रवचनो स्वभाव तरफ लई जईने मुक्तिनो
मार्ग देखाडे छे. धर्मनुं मूळ सम्यग्दर्शन छे. ते अपूर्व सम्यग्दर्शन–अपूर्व
आत्मभान–केवी रीते प्रगट थाय–ते समजाववानुं आ प्रवचनोनुं मुख्य कार्य छे.
धर्मना अभ्यासनी शरूआत करनार हो, के मोटा विद्वान हो,–ते सर्वेने आ प्रवचनो
उपकारी छे अने सद्गुरुगमे वारंवार तेनुं वांचन–मनन करवा योग्य छे.
तेमां चोथा भागमां कर्ताकर्म अधिकार उपरना प्रवचनो छे. ‘हुं कर्ता ने पर
मारुं कर्म, पर कर्ता ने हुं तेनुं कर्म, अथवा हुं कर्ता ने विकार मारुं कर्म’ –आवा आवा
प्रकारनी जे मिथ्या कर्ता–कर्म बुद्धि जगतना जीवोमां चाली रही छे, ते कर्ता–कर्म
संबंधी घोर मिथ्या मान्यताने दूर करीने. जड अने चेतन दरेक पदार्थोमां कर्ता–कर्मनुं
यथार्थ स्वरूप आ चोथा भागमां कोई अलौकिक रीते समजाववामां आव्युं छे.
समयसार प्रवचनो भाग १ किंमत ३–०–०
समयसार प्रवचनो भाग २ किंमत २–०–०
समयसार प्रवचनो भाग ३ किंमत ३–०–०
समयसार प्रवचनो भाग ४ किंमत ३–०–०
(दरेकनुं टपाल खर्च जाुदुं.) – श्री जैन स्वाध्याय मंदिर
सोनगढ: सौराष्ट्र
भेट पुस्तको संबंधी खुलासो
आ ‘आत्मधर्म’ मासिकना चालु वर्षना ग्राहकोने त्रण भेट पुस्तको आपवानी जाहेरात अगाउ
थई गई छे. ‘आ भेट पुस्तको क्यारे मळशे’–एम अनेक ग्राहको तफथी पूछवामां आवे छे; तेथी तेनो
खुलासो कर्यो छे–
परमपूज्य गुरुदेवश्री हाल सौराष्ट्रमां विहारमां होवाथी, विहारमां वच्चे जे जे गामो आवता
जाय छे ते ते गामना ग्राहकोने भेदविज्ञानसार नामनुं पुस्तक रूबरूमां आपी देवामां आवे छे. नीचेना
२४ गामना ग्राहकोने रूबरूमां अगर तो ते गामना मुमुक्षुमंडळ मारफत भेदविज्ञानसार आपवानी
व्यवस्था थई गई छे.
अमदावाद, वींछीया, कुंडला, वांकानेर, पालेज, राजकोट, बोटाद, भावनगर, राणपुर, उगामेडी,
उमराळा, वढवाण शहेर, पाटी, जसदण, गोरडका, धामण, (गुजरात), चुडा, वढवाण केम्प, भडकवा,
लींबडी, मोरबी, सोनगढ, जोरावरनगर, अने धांगध्रा.
बाकी रही गयेला ग्राहकोने ‘भेदविज्ञानसार’ अने ‘सम्यग्दर्शन–ए बे भेट पुस्तको पोस्ट द्वारा
मोकलवानुं
(अनुसंधान पाना नं. ६३ उपर)