सत्पुरुषोनो समागम कवचित् कवचित् जीवने प्राप्त थाय छे, पण जो
जीव सत्द्रष्टिवान होय तो सत्श्रुतना घणा काळना सेवनथी थतो
लाभ प्रत्यक्ष सत्पुरुषना समागमथी बहु अल्पकाळमां प्राप्त करी शके
छे. केमके प्रत्यक्ष गुणातिशयवान् निर्मळ चेतनना प्रभाववाळां वचन
अने वृत्तिक्रिया चेष्टितपणुं छे. जीवने तेवो समागम योग प्राप्त थाय
एवो विशेष प्रयत्न कर्तव्य छे. तेवा योगना अभावे सत्श्रुतनो
परिचय अवश्य करीने करवा योग्य छे. शांतरसनुं जेमां मुख्यपणुं छे,
शांतरसना हेतुए जेनो समस्त उपदेश छे, सर्वे रस शांतरसगर्भित
जेमां वर्णव्या छे, एवा शास्त्रनो परिचय ते सत्श्रुतनो परिचय छे.