Atmadharma magazine - Ank 081a
(Year 7 - Vir Nirvana Samvat 2476, A.D. 1950)
(Devanagari transliteration).

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धर्मनुं मूळ सम्यक्दर्शन
द्वितीय अषाढ संपादक वर्ष सातमुं
रामजी माणेकचंद दोशी
२४७६ वकील खास अंक
वीतरागविज्ञान
मंगलमय मंगलकरण वीतराग विज्ञान,
नमुं तेह जेथी थया अरहंतादि महान.
वीतरागविज्ञान एटले सम्यग्ज्ञान,
ते पोते ज मंगळमय छे अने मंगळनुं
कारण छे. साचुं ज्ञान–वीतरागी ज्ञान–
तत्त्वज्ञान–आत्मज्ञान–ते मंगलस्वरूप छे
अने मांगळिकनो उपाय पण ते ज छे.
आत्मानी स्वरूप–संपदा पामवारूप
मंगळनुं ते कारण छे; तेथी तेने अहीं
नमस्कार कर्या छे. ए वीतरागीविज्ञान वडे
ज अरिहंतादि महान थया छे. वीतरागी
विज्ञानने पामीने ज पंच परमेष्ठीओ
आत्मतत्त्वने पाम्या छे.
“मुक्तिनो मार्ग” पृ : २
छुटक नकल वार्षिक लवाजम
चार आना त्रणरूपिया
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