: आत्मधर्म : ८९ : ८३/अ :
भगवान श्री सीमंधरजिन–स्वागत अंक
... आजे भेटया... ए
भगवान
जेमने भेटवा माटे भक्तजनोना अंतरमां ऊंडी ऊंडी
अभिलाषा रह्या करती हती ते भगवान आजे भेटया...
पू. गुरुदेवश्रीना प्रतापे सीमंधरनाथ आजे भेटया...
भक्तोना जीवनाधार भगवान आजे भेटया...
बराबर आजथी दस वर्ष पहेलांं...धन्य ए फागण सुद बीज! सौराष्ट्रनी भूमिमां
सेंकडो वर्ष बाद वीतरागी जिनबिंबनी पंचकल्याणक प्रतिष्ठा–महोत्सवनो अति मंगळ
प्रसंग, तीर्थंधाम सोनगढमां, आजथी दस वर्ष पहेलांं वीर सं. २४६७ना फागण सुद
बीजे, सौराष्ट्रना धर्म धूरंधर पू. गुरुदेवश्रीनी छत्रछायामां थयो...सोनगढना
जिनमंदिरमां सीमंधर भगवाननी ए प्रतिष्ठाने आजे दस वर्ष पूरां थाय छे.
अहो! ए महोत्सव वखतनां कल्याणक द्रश्यो...ने ए वखतनी भक्तिनो
उल्लास...! वळी ए वखतनां पू. गुरुदेवश्रीनां प्रवचनो...अने तेमां वहेली भक्तिनी
अत्रुटधारा...ए बधुं य आजेय भक्तजनोनां हये तरवरी रह्युं छे.
... ते वखते आ ‘आत्मधर्म’ नो जन्म नहोतो थयो...परंतु हवे आजे सीमंधर
नाथनी भक्तिमां साथ पूराववा ते समर्थ बन्युं छे... अने तेथी सीमंधरप्रभुनी भक्तिना
आ मंगळ–महोत्सव प्रसंगे भगवान श्री सीमंधर जिन–स्वागत अंक प्रसिद्ध करीने ते
पोताने कृतार्थ माने छे.
विदेहवासी...हे सीमंधरनाथ! आप ‘सुवर्णधाम’ मां... अथवा कहो के
भक्तोना अंत मां...पधार्या पछी आ भरतक्षेत्रना जिनेंद्रशासनमां अनेक अनेक
मंगलवृद्धि थई छे...अहो! प्रभु! आपना शुं शुं सन्मान करीए? कई रीते आपनुं स्वागत
करीए? हे नाथ! आपना महान स्वागतना आ पवित्र महोत्सवमां साथ पूराववा आ
‘स्वागत–अंक’ आपना चरणे धरीने आपनुं स्वागत करीए छीए... आपनुं बहु बहु
सन्मान करीए छीए..आपने भक्ति–पुष्पोथी वधावीए छीए.
अमे छीए
आपना सुवर्णपुरीवासी भक्तो.
[भगवान श्री सीमंधर जिन–स्वागत अंक]